Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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॥ कल्याण
शोभाञ्जन= सरगवानुं झाड रक्तशोभाञ्जन= लाल सरगवो मधुशोभाञ्जन= मीठो सरगवो. मधूक= महुडा, महुडानुं झाड अथवा
कलिका.
॥क्रयाणकरूची॥
खं० २॥
रसाञ्जन= रसौंत तगर= स्वनामख्यात बला= बलबीजनो क्षुप अतिबला= नानी कांकसी (नानी पीठाडी) नागबला= गंगोरुकी-गांगडीनुं झाड दुर्वा = ध्रो दूब श्वेतदूर्वा = धोली थ्रो, श्वेत दूब गण्डदूर्वा = गांठाली ध्रो-तांतिया दूब जवासक= जवासो
दुरालभा= धमासो वासा= अरडुसी-माली अरडुसो कपिकच्छू= कौंचनी फली वा बीज. शतावरी= सतावरी नाम ख्यात गुञ्जा= चणोठी-लाल चणोठी चरमी श्वेतगुञ्जा= धोली चणोठी-धोली चरमी प्रियंगु= रायण, झाड बीजप्रियंगु= गहुंला-घहुंला पद्म= लाल कमल, पोयणां पुष्कर श्वेतकमल नीलोत्पल = नीलकमल-नीलोफर कुमुद= रात्रिविकासी कमल शालूक= कमलनी जड-कमलतन्तु वितुन्नक= नागरमोथ जीवन्ती= हरडेनुं झाड-हरीतकीवृक्ष
काकोली= स्वनाम ख्यात कंद मुद्गपर्णी रानीमग-कोटडिओ माषपर्णी = रानी अडद ऋषभक स्वनाम ख्यात कंद जीवक= स्वनाम ख्यात कंद विदारी= स्वनाम ख्यात कंद क्षीरविदारी= दूधियाविदारी कंद एरण्ड= एरण्डो रक्तैरण्ड= रातो एरंडो वृश्चिकाली= विच्छुडो घास पुनर्नवा= राती साटोडी श्वेतपुनर्नवा= श्वेत साटोडी सहदेवी= स्वनाम प्रसिद्ध औषधी कृष्णसारिवा= स्वनाम प्रसिद्ध रक्तशोधक औषधी
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