Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 627
________________ ॥ कल्याण कलिका. खं० २ ॥ ।। ५५१ ।। Jain Education International खीर वडां लाडु) (८) नैवेद्य ( पक्कान्न ) ९ खाजा, सुहाली, मांडी, मुरकी, साटे, साकुची, सेविआलाडु मोतिआलाडु मीठालाडू (७) नैवेद्य २५ कांकरिआ (मुंग ५ तिल ५ चिणा ५ फुला ५ गोहूंधाणी ५ ) (४) पद्मराग ( १ ) पनस ( २ ) पटलको (१) पट्टाच्छादन (१) पस्तां १०० (७) पंचगव्य (च्छगण मूत्र घृत दुग्ध दधिदर्भोदक) (२|३|५|६) पंचगव्य (दुध दहि माखण घृत तक्र मिश्री चंदन) (८) पाटलो पवित्र (५२६८) पाटलो १ नंदावर्त योग्य शिवंतनो ( ८ ) पान १०० (७) पत्र २४ (३) पंचधातुक (२३) पंचवर्ण पुष्प ( ४ ) पान (८) पंचरत्न (प्रवाल, मौक्तिक सुवर्ण रजत ताम्र ) (२२३।५।६।७१८) पारद (१) पंचरत्न कषायग्रंथी (प्र० मौ०सु०र०ता०) (३) पंचरत्नाष्टक ८ (सु. रू. ता. मौ. राजावर्त) (४) पंचरत्न गांठडी (ग्रेवासूत्रे पीत वस्त्रे बांधी बिम्बनी आंगलिये बांधवी) (६८) पानीय वर्ग (गंगा यमुना मही नर्मदा सरस्वती तापी गोदावरी समुद्र पद्मसर नदी संगमादि) (१) प्रतिनिधि (जे देशमां औषधी न मले ते पंचरत्न ग्रंथी (प्रत्येक बिंब दक्षिण करांगुलीए देशमां तेना स्थाने उत्तम चीज लेवी) (७) बांधवी) (६) प्रतिमा (पा. शां. जलयात्रायां) (६) प्रतिष्ठाप्या जिनप्रतिमा चिन्त्या स्थाप्यावा नंदावर्ते ( ५ ) पंचरत्न पोटली १००० (श्वेत वस्त्रेगेवासूत्रे बांधीये) (६७) पंचशब्द वाजिंत्र (५/६८) पंचामृत ( १ ) प्रतिमा (चला) वामांगे समूलदर्भ वालुका स्था० (५/६ ) For Private & Personal Use Only ॥ बिम्ब स्थापना प्रतिष्ठो पकरण सूचि ॥ ।। ५५१ ।। www.jainelibrary.org

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