Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
सर्षप (लोहाच्छेदित श्वेत) २७ तणी रक्षापोटली (६) सर्षप (श्वेत लोहाच्छेदित पोटली) (८) साकर (५६)
स्नात्रभेदाः ।।
॥ ५५८॥
१ स्नात्र सुवर्णजल (२।३।४।५।६।७८) २ स्नात्र पंचरत्नजल (२।३।४।५।६।७८) ३ स्नात्र कषाय छाल (न्यग्रोध उदुम्बर अश्वत्थ चम्पक अशोक कदंब आम्र जंबू बकुल अर्जुन पाटला वेतस किंशुकादि) (१) (प्लक्ष अश्वत्थ शिरीष उदुंबर वट) (२।३) (पीपली पीपल सिरीप उंबर बड चंपो अशोक आंबो जांबु बउल अर्जुन पाडल बील किंसुक) (५)
साकरिआं १०० (७)
स्नात्रकार उपवासी (७) साकरलिंगां (७)
स्नान-(घृतदधिदुग्धादिना) (३) स्नात्रकार ४ (२।३।४।५।६।७:
स्नात्र (सूत्रधार कृत) (१)
स्नात्र (४ स्नात्रकार कृत) (३) स्नात्र-भेदाः(पीपरि पीपल सरीस उंबर बड चंपक अशोक सालवणी वडा रीगणी लहुडी रींगणी (५।६) आम्र जांबू बउल अर्जुन बील किंसुक दाडिम (सहदेवी सतावरी कुआरी वालो नारिंग) (६८)
म्होटीरींगणी न्हानीरींगणी मयूरशिखा अंकोल (लक्ष अश्वत्थ सिरीष उदुंबर वट) (७४) शंखाहोली लक्ष्मणा आजो काजो थोहर ४.मृत्तिका स्नात्र (मृत्तिका शब्दमां भेदवर्णन) तुलसी मरुओ कुंभा गुली सर पंखो राजहंसी | ५.स्नात्र पंचगव्य दर्भोदक (छगण-मूत्र-दूध-दहि- मीठवणी शालवणी गंधनोली महानीली) (८) घृत) (२।३।४।५।६।७)
७.स्नात्र मूलिका-(मूलिका शब्द देखयो) ६.सदौषधि स्नात्र (सहदेवी बला शत मूली ८.स्नात्र प्रथमाष्टवर्ग (कुष्ट प्रियंगु बज लोद्र शतावरी कुमारी गुहा सिंही व्याघ्री (२।३।४७) उशीर देवदारु दुर्वा मधुयष्ठिका ऋद्धि वृद्धि) | (सहदेवी बला कुंआरी शतावरी पीठवनी (२।३।४।७)
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॥ ५५८ ॥
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