Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
॥स्नात्रभेदाः ॥
१७.स्नात्र-कर्पूर (कर्पूरजल) (२।३।४।५।६।१८) १८.स्नात्र-पुष्पांजलि (३।५।६) (कस्तुरी जल) (२) (शुद्ध जल १०८ स्ना.) (७) (के सर चंदन पुष्प स्नात्र ततः पुष्पांजलि) (८) सिद्ध विडि पुडी (५) सिल्हक (४) सिंहासन (८) सीसकादि (१) सुवर्ण वर्तिका (५) सुखडी सर्व जातनी (८) सुकडी घसी (६) सुकडी वास (५)
सुकडी घसिवा सेर १० (७) सुकडी जाडी घसी वाडलुं १ (६) सुकडी घसिवालोडा २ (६) सुकडी घसी जाडी लोडा २(८) सूत्र (कुमारी कर्तित) (४) सूत्र (कुसुंभ) (३) सूत्रधार (१) सूर्यकान्त (१) सेलडी (५६) सेलडी खंड (७) सोनानो कच्चोलो (८) सोपारी (६८) सुकुमालिका कंकण (३) सुवर्ण शलाका (१।२।३।४।५।६।१८) सुवर्ण चूर्ण (५)
सुवर्णमाक्षिक (१) सुवर्णभाजन (२।३१५) सुहाली-सोहाली (२।३) सुहाली दर्भ (३) सुहाली गुडयुत ४ दान (३) सुहाली (५) सुंहाली (८) हरिताली (१) हरिद्रोदक (४) हस्तलेप (प्रियंगु कर्पूर गोरोचन (२।३।४।५।६।८) हिरण्य (१२) हिरण्य दान (२३) हेम (१) हेम गैरिक (१)
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