Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 628
________________ प्रतिमा (स्थिरा) लेपादि (प्रथमथी अधो वामभागे घी वाटकी श्रीखंड तंदुल कुंभकार चक्र माटी सह सोनु रु' मुक्ताफल लोह ए पंचधातुक स्थापवां ।। कल्याणकलिका. खं० २॥ थोक । बिम्बस्थापना प्रतिष्ठोपकरणसूचि ॥ ॥ ५५२ ।। प्रतिष्ठान्ते मंगलगाथा (५६) प्रतिष्ठा गुरु (४) प्रतिष्ठा मंडप (८) प्रशस्तफल (२) पिशंग (४) पीठीका (१) पूग २४ (३) पूगीफल (१) पुष्प (२।३।१।४।५।६।७८) पुष्पचय (१) पुष्प सेवंत्रां चंपेली मोगरो गुलाब जुई (८) पुष्प प्रकर (२१७) पुष्प निक्षेप (८) पुष्पराग (१) पुष्पमाला (८) पुष्पांजलिक्षेम (१८ अभिषेकान्तर्गत) (८) पुखणहारी ४ (२।६।८) पुंखण (६८) प्रोक्षण (३) पुंखणोपकरण (धूसर मुसल वाइओ) (५) पुंखणोपकरण (त्राक धूसर मूसल रवाइओ) (६) । पुंखणोपकरण (त्राक धूसर मुसल रखाइओतीर) (८) पुंजणी ८ (८) पूपिका (४) पोलिका (घृत खांड मिश्र) (४) पूजा ३ वा ८ दिन (३) फल (८६) फलहलि (६।५।८) फलोहलि (२।३) फालां ४ (७) फूल (५।६।८ः फूल रूपानां (८) फूल सोनानां (८) फोफल (२।३।५।७ बदर (१४) बकुल (७) बलबाकुल (८६) बलि (लड्डुकादि) (३२) बलि विचित्र (जंबीर बीजपूरक पनस आम्र दाडिम इक्षु) (३२) Ge Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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