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॥ कल्याणकलिका. खं०२॥
॥ भूमिग्रहण ॥
चा
६, पादलिप्तसूरि निरूपित जिनबिंब प्रतिष्ठा विधि ७, वर्तमान समयमा प्रचलित जिनबिंब प्रतिष्ठा विधि ८, चैत्यप्रतिष्ठा विधि ९, कलशप्रतिष्ठा | विधि १०, ध्वजदण्ड प्रतिष्ठा विधि ११, त्रण प्रकारे जिनबिंब प्रवेश विधि १२, अभिषेक विधि १३, अष्टोत्तरीस्नात्रपूजा विधि १४, |
शान्तिस्नात्रपूजा विधि १५, तीर्थयात्रा शान्तिक १६, बे प्रकारे ग्रहशान्तिक १७, जीर्णोद्धार विधि १८, देवी प्रतिष्ठा विधि १९, विविधवस्त्वधिवासना विधि २० अने प्रकीर्णक प्रतिष्ठा विधि २१, ओ बीजा खंडना परिच्छेदो कह्या. हवे प्रत्येक' परिच्छेदनुं नीरुपण कराय छे.
परिच्छेद १. भूमिग्रहण विधि : परीक्षितापि चैत्यारे, भूमिाह्या विधानतः । येन तत्र कृतं वेश्म, निर्विघ्नं शान्तिदं भवेत् ॥७॥
चैत्यने योग्य परीक्षित भूमिनो पण स्वीकार विधि पूर्वक करवो जोइये के जेथी तेमां निर्विघ्नपणे जिनघर बनी शके अने ते शांतिदायक थाय. पूर्वोक्त प्रकारे वर्ण, गन्ध, रसादिके करी परीक्षा करी पछी ते भूमि विधि पूर्वक पोताना अधिकारमा लेवी. प्रासाद भूमि उपर अधिकार सारा मुहूर्ते अने शुभ लग्नमां करवो, अने तेज मुहूर्ते तेमां खात मुहूर्त करीने भूमि शुद्धि करवी जोइये. प्रासाद करावनार गृहस्थ, अथवा सूत्रधार प्रथम स्नान करी, शुद्ध वस्त्र धारण करी, अक्षतमिश्रितवास पुष्पादि पूजोपस्कर लेइ, ते परीक्षित भूमिमां जइ, वास्तु भूमिना मध्य भागे पंचरत्नादियुक्त कुंभ स्थापित करे, पछी पूर्वादि दिशा सामे उभा रही -
१ ॐ इन्द्राय आगच्छ २ अर्घ प्रतीच्छ २ स्वाहा । २ ॐ अग्नये आगच्छ २ अर्धं प्रतीच्छ २ स्वाहा । १. उपरना द्वारोना क्रममा बीजा संस्करणमा फेरफार कर्यो छे. अनुक्रमणिका जोवी ।
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