Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 539
________________ || अष्टोत्तरी ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ शतस्नात्र विधिः ॥ ॥ ४६३ ।। मूर्ति अथवा स्तूप उपर - “ॐ नमो आयरियाणं भगवंताणं णाणीणं पंचविहायारसुट्ठि आणं इह आयरिया भगवंतो अवयरंतु साहुसाहुणीसावयसावियाकयं पूअं पडिच्छन्तु सव्वसिद्धिं दिसन्तु स्वाहा ।" आ मंत्रवडे ३ वार वासक्षेप करीने प्रतिष्ठा करवी. उपाध्यायनी मूर्ति अथवा स्तूप उपर - ___ "ॐ नमो उवज्झायाणं भगवंताणं बारसंगपढगपाढगाणं सुअहराणं सज्झायज्झाणसत्ताणं इह उवज्झाया भगवंतो अवयरंतु भगवंतो अवयरंतु साहुसाहुणीसावयसावियाकयं पूअं पडिच्छन्तु सब्वसिद्धिं दिसन्तु स्वाहा ।" आ मंत्र बडे ३ वार वासक्षेप करीने प्रतिष्ठा करवी. साधुनी मूर्ति अथवा स्थूप उपर - "ॐ नमो सवसाहणं भगवंताणं पंचमहन्वयधराणं, पंचसभियाणं तिगुत्ताणं तवनियमनाणदंसणजुत्ताणं मुक्खसाहगाणं इह साहुणो भगवंतो अवयरंतु साहुसाहुणीसावयसावियाकयं पूअं पडिच्छन्तु सब्वसिद्धिं दिसन्तु स्वाहा ।" आ मंत्र वडे ३ वार वासक्षेप करी प्रतिष्ठा करवी. (८) पितृमूर्ति प्रतिष्ठा विधिः गृहस्थोना पूर्वजोनी पाषाणमयी मूर्तिओ घणे भागे प्रासादोमां स्थापित कराय छे, ज्यारे धातुमय मूर्ति-पाटलिओ उपर खोदेली | For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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