Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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॥ कल्याण कलिका. खं० २॥
॥ बिम्बस्थापना
प्रतिष्ठो
।। ५४८ ॥
पकरणसूचि ॥
तांबूल (६) तंबोल (७) ताम्र (१) तिल (१) १०८ तीर्थजल (८) तीर्थजल (समुद्र नदी द्रह कुंड जल)(२) तीर्थोदक (१) तीर्थोदक (सन द्र०कुंड जल)(३) तीर्थोदक (गंगा प्रभृति)(५) तीर्थोदक (गंगा सिन्धु प्रमुख १०८ तीर्थजल)(६) तुवरी(१) तूलिका (कांचन) (१) तौरिका (१) त्रपु (१)
त्राक (गैवासूत्र वेष्ठित पूर्ण)(५) थाल सुवर्ण (८) दधि (१) दधि वाटलं (५।६) दधि योग्य वाटली ४(७) दधि-भाजन-दर्शन (६) दहि भरा माटली १ (७) दहिनो वाटको १ (८) दधि भांड दर्शन (२) दर्पण (२४) दर्भ (१) दर्भ सशिरस्क (२।३) दर्भ समूल(५।६।७८) दाडिम (२।३।४।५।६।१८) द्राक्ष(२।३।४।५।६।७८)
द्वात्रिंशदंग (धूप) (४) द्वादशांग (धूप)(४) दीप मंगल (घ.गु.समेत.) (३।४।२।६।५) दीप (८)(१) दीपमंगल (११३८) दीवी ४(८) दीपमंगल ४ (गो.चू.कौ.रुत.व.) (४) दुधनो वाटको १(८) दूर्वा (१) दिकपाल स्थापन (३।४।६) दिक्पालार्ध (अर्धवत) (६) दिशाबलि (३७) ध्वज (इन्द्रध्वज)(८) ध्वज(महाध्वज) २(८) ध्वज २४ (लघुध्वज)(८)
॥ ५४८ ॥
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