Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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॥ स्तुति
॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
स्तब
मंत्राः ॥
॥ ५०४॥
सः २ ओहिणि मोहिणी स्वाहा । १५ - सौभाग्य मंत्र - ॐ अवतर अवतर सोमे २ कुरु २ निवग्गु २ सुमिणे सोमणसे महुमहुरे ॐ कविल ॐ कः क्षः स्वाहा। पादलिप्तीयसौभाग्यमंत्रः - ॐ नमो वग्गु २ निवग्गु २ सुमिणे सोमणसे महमहुरे जयंते अपराजिए स्वाहा । १६ - जिनमूत्तिप्रतिबोधमंत्रः - ॐ ह्रीँ अर्हन्मूर्तये नमः (प्रवचनमुद्रा पूर्वक प्रतिबोधः) ॥ १७ - अचलमूर्तिस्थिरीकरणमंत्रः - ॐ स्थावरे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा । १८ - सिंहासनस्थापनमंत्रः - इदं रत्नमयमासनमलंकुर्वन्तु इहोपविष्टा भव्यानवलोकयन्तु हृष्टदृष्ट्या जिनाः स्वाहा । १९ - चलप्रतिमायां न्यसनीयमंत्रः . ॐ जये श्रीं ह्रीं सुभद्रे नमः । २० - सुरकृतातिशयस्थापनमंत्र - ॐ नमो भगवते अर्हते सुरकृतातिशयान् जिनस्य शरीरे स्थापयामि स्वाहा ।
२१ - जिने प्रातिहार्यस्थापनमंत्रः - ॐ नमो भगवते अर्हते असिआउसा जिनस्य प्रातिहार्याष्टकं स्थापयामि स्वाहा।। ॐ यक्षेश्वराय स्वाहा । ॐ ही हूँ ही शासनदेव्यै स्वाहा । ॐ धर्मचक्राय स्वाहा । ॐ मृगद्वन्द्वाय स्वाहा । ॐ रत्नध्वजाय स्वाहा । ॐ नमो भगवते अर्हते जिने प्राकारादित्रयं स्थापयामि स्वाहा ।
२२ - प्रतिष्ठादेवताविसर्जनमंत्रः -ॐ विसर विसर प्रतिष्ठादेवते स्वाहा । ___२३ - नन्द्यावर्तविसर्जनमंत्रः- ॐ विसर विसर स्वस्थानं गच्छ गच्छ नन्द्यावर्त ! पुनरागमनाय स्वाहा ।(मंत्रभणनपूर्वक | वासक्षेपेण विसर्जनम्।)
श
॥ ५०४ ॥
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