Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 607
________________ नालिएरो बीजोरां ॥ कल्याण ॥ प्रतिष्ठो कलिका. केला पस्करः ॥ खं०२॥ यवमालिका तर्कुका (त्राको) शिला (मेनशिल) गोरोचन श्वेत सरसवा श्वेत बखद्वय पट्टाच्छादन प्रतिमाच्छादन पटलको ॥ ५३१ ॥ नारंगीओ आंबा जांबू कोला वृन्ताक आमलां बोर आदि शुभ मूललगे । सोपारी नागरवेलना पान मातृपुटिका १०८ अखंड चोखा से.१ सेलडीओ विविध पुष्पो. ३-गुणरत्नसूखितिष्ठाकल्पोक्त सामग्री सूचीनवांगवेहि (वेदी) ४ वांसे जवारा ४ (गोहू ब्रीही जब) शरावले जवारा ८ न्हवणयोग्य कलश ४ (सोना रूपा त्रांबा वा माटीना) पाणी घालवा कोरा घडा घडी योग्य कुडी २ नंदावर्तयोग्य वरगडुआ ८ शराव ६४ कुंडां माटीनां ८ आचार्ययोग्य वस्त्रो सूत्रधारयोग्य वस्त्र अक्षतपात्र १ नंदावर्तयोग्य सेवननो पाटलो १ सदश कोरां वस्त्र २ (नंदावर्तयोग्य प्रतिमायोग्य १) सोनाना कांकण ४ सुवर्णमुद्रिका ४ (कंकण- | मुद्रिकाओ ४ स्नात्रकारोने माटे ) रूपानी बाटकी १ सोनानी शलाई १ अंजन (कालो सुरमो, घृत, मधु, साकर मेली तैयार करेल ) हस्तलेप (प्रियंगु-कर्पूर-गोरोचन) पंचरत्न (मवाल-सुवर्ण- रूप्य ताम्र-मोतीनी पोटली) आरीसो १ घंटो घृपधाणाओ रूपानी वाटकी सोनानी शलाई कांसानी बाटकिओ आरिसो १ ॥ ५३१ ॥ Jan Education Intematon For Private Personal use only www.jainelibrary.org

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