Book Title: Kalyan Kalika Part 2
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 444
________________ ॥ कल्याण-I कलिका. खं०२॥ ॥ प्रतिष्ठाविधिबीजकानि ॥ ॥ ३६८ ॥ पुष्फक्खयंजलीहिं, तो गुरुणा घोसणं ससंघेणः थेजत्थं कायवं, मंगलसद्देहिं बिम्बस्स ॥२८॥ जह सिद्धि मेरु कुलपव्वयाण पंचत्थिकाय-कालाणं । इह सासया पइट्ठा, सुण्इट्ठा होउ तह एसा ॥२९॥ जह दीव-सिन्धु-ससहर-विणयर-सुरवास-वासखेत्ताणं । इह सासया पइट्ठा, सुपइट्ठा होउ तह एसा ॥३०॥ एत्थं सुहभावकए, अक्खयखेवे कयंमि बिम्बस्स । सविसेसं पुण पूया, किच्चा चिइबंदणा य तहा ॥३॥ मुहउग्घाडण समणंतरं च पूया य समणसंघस्स । फासुयघयगुडगोरस- णंतगमाईहिं कायव्वा ॥३२॥ सोहणदिणे य सोहग्ग-मंतविन्नासपुब्वयमवस्सं । मयणहलकंकणं-करयलाओ बिम्बस्स अवणिज्जा ॥३३॥ जिणबिम्बस्स य विसए, नियनिय ठाणेसु सब्बमुद्दाओ । गुरुणा उवउत्तेणं, पउंजियब्बाउ ताउ इमा ॥३॥ जिणमुद्द कलसपरमेट्ठि-अंग-अंजलि-तहासणे चक्का । सुरभी पवयण गरुडा, सोहग्ग कयंजलि चेव ॥३५॥ जिणमुद्दाए चउकलसठावणं तह करेह थिरकरणं । अहिवासमंतनसणं, आसणमुद्दाए अन्ने उ ॥३६॥ कलसाए कलसन्हवणं, परमेट्ठीओ उ आहवणमंतं । अंगाए समालभणं, अंजलिणा पुष्फरुहणाई ॥३७॥ आसणयाए पट्टस्स पूयणं अंगफुसण चक्काए । सुरभीए अमयमुत्ती, पवयणमुद्दाए पडिबोहो ॥३८॥ गरुडाए दुट्ठरक्खा, सोहग्गाए य मंतसोहग्गं । तह अंजलिए देसण मुद्दाहिं कुणइ कज्जाई ॥३९॥ इति प्रतिष्ठाविधि बीजकगाथाः । अथ ध्वजदण्डारोपविधिबीजकम् । घोसिज्जए अमारी, दीणाणाहाण दिज्जए दाणं । पउणीकिज्जइ वंसो, धयजोगो सरल सुसिणिद्धो ॥४०॥ CRE ॥ ३६८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.iainelibrary.org

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