Book Title: Jivajivabhigamopanga Sutra
Author(s): Chaturdash Purvadhar, Malaygiri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 862
________________ M श्रीजीवाजीवाभि० मलयगिरीयावृत्तिः प्रतिपत्तौ प्रथमसमयनैरयि कादिस्थिहै त्यादि ही उद्देशः२ | सू०२४१ ॥४२९॥ OCOCCASCALCARX अपढममणुस्स० जह. खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्क० तिन्नि पलिओवमाइं पुवकोडिपुहत्तमन्भहियाई ॥ अंतरं पढमसमयणेरतियस्स जह. दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमय जह० अंतोमु० उक्क० वणस्सतिकालो। पढमसमयतिरिक्खजोणिए जह० दो खुट्टागभवग्गहणाई समऊणाई उक्को. वणस्सतिकालो, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जह० खुट्टागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं । पढमसमयमणुस्सस्स जह० दो खुड्डाई भवग्गहणाई समऊणाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयमणुस्सस्स जह० खुडागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोवणस्सतिकालो। देवाणं जहा नेरइयाणं जह० दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्को वणस्सइकालो, अपढमसमय जह अंतो० उक्को० वणस्सइकालो ॥ अप्पाबह० एतेसि णं भंते! पढमसमयनेरइयाणं जाव पढमसमयदेवाण य कतरे २ हिंतो?, गोयमा! सव्वत्थोवा पहमसमयमणुस्सा पढमसमयणेरड्या असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा ॥ अपढमसमयनेरइयाणं जाव अपढमदेवाणं एवं चेव अप्पबह० णवरि अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा ॥ एतेसिं पढमसमयनेरइयाणं अपढमणेरतियाणं कयरे २१, सव्वत्थोवा पढमसमयणेरतिया अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा, एवं सव्वे ॥ पढमसमयणेरइयाणं जाव अपढमसमय ACCCCCCCCCX ॥४२९॥ Jain Education For Private & Personal Use Only S w .jainelibrary.org

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