Book Title: Jivajivabhigamopanga Sutra
Author(s): Chaturdash Purvadhar, Malaygiri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 877
________________ दिया सइंदिया अणंतगुणा। अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता तंजहा-सकाइया चेव अकाइया चेव एवं चेव, एवं सजोगी चेव अजोगी चेव तहेव, [एवं सलेस्सा चेव अलेस्सा चेव, ससरीराचेव असरीरा चेव संचिट्ठणं अंतरं अप्पायहुयं जहा सइन्दियाणं॥अहवादुविहा सबजीवा पण्णत्ता, तंजहा-सवेदगा चेव अवेदगा चेव ॥ सवेदए णं भंते! सवे०? गोयमा! सवेयए तिविहे पपणत्ते, तंजहा-अणादीए अपजवसिते अणादीए सपजवसिए साइए सपजवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपजयसिए से जह० अंतोसु० उक्को० अणंतं कालं जाव खेत्तओ अवर्ल्ड पोग्गलपरियह देसूणं ॥ अवेदए णं भंते! अवेयएत्ति कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा! अवेदए दविहे पण्णत्ते, तंजहा-सातीए वा अपज्जवसिते साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से सादीए सपजवसिते से जहपणेणं एकं समयं उक्को० अंतोमुहुत्तं ॥ सवेयगस्स णं भंते! केवतिकालं अंतरं होइ?, अणादियस्स अपज्जवसियस्स णथि अंतरं, अणादियरस सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, सादीयस्स सपज्जवसियस्स जहण्णेणं एक समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ अवेदगस्सणं भंते! केवतियं कालं अंतरं होइ?, सातीयस्स अपज्जवसियस्स गस्थि अंतरं, सातीयस्स सपजवसियस्स जह० अंतोमु० उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवई पोग्गलपरियह देसूर्ण । अप्पावहुगं, सव्वत्थोवा अवेयगा सवेयगा अणंतगुणा । एवं सकसाई चेव अकसाई चेव २ जहा सवे MANACOCACANCCRICK For Private & Personal Use Only jalnelibrary.org Jain Education

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