Book Title: Jindattakhyana Dwaya
Author(s): Sumtisuri, Amrutlal Bhojak
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 10
________________ www.jainelibrary.org सिंघी जैन ग्रन्थमाला जिनदत्ताख्यान सचे ज्ञानोनिताकमूविनानाचायति कामकातिकमनियाससारकातासिशनमानका बंम्रागतिक एमरेटालंगसरलो। यांतयारपारणतिवाणनितिणयानाधिशलाजिनदता .. रयानसमानम्॥सेम्बत् १६ पाचक श्रीधिवक्ताटलिखिनेयमाणितण्यतिनायदि नवासावाववरनागायावस्थत प्रयकारणम्॥ध्यमिगलमनुवारकजनानामू. For Private & Personal Use Only Sohai सबसमयावदियालmg सावधवारहमास्वामयी मदिहिसानिए बाप मसभाममदादिमा विस्यमा भवषयाकालमारणमहनामि वयापा तासाशमयसका आनधामा पहासावरावयमाव क्यामभावना उम्दाश्वभूमिafaamमपक्षमतहमायनिएरापमाहानामानावर दावल्यवयजनाकासविणक्षा प्रवक्तासमभामाचमममा नानामिवयमभूयसामाधारी TAGEक्षमागमाद्यपालप्ताहानाहानमयदम रमापातामतानामवाणयानममननामays मामय वयलयाच्यात समावदासदकता यह कामादराव मनाउRRENAधामका जिससंकचियामाददापापवमासयानादसामुनयादात चमित्रा जावित्रनमगामा वसनता पाकवियनयागामाच्यासमधातामानाथधाश्यावविश्कापतामह जिनदत्ताख्याननी प्राचीन ताडपत्रीय प्रतिनी प्रतिकृतियो. Jain Education International

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