Book Title: Jain Tattva Shodhak Granth
Author(s): Tikamdasmuni, Madansinh Kummat
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Swadhyayi Sangh Gulabpura

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Page 10
________________ द्रव्य सहायक recrexorror श्रीमान् अमरचन्दजी भंवरलाल जी सा छाजेड़ मेवड़ा की तरफ से १०० पुस्तके ,, जीवराजजी भवरलालजी सा० चोरडिया भैरून्दा की तरफ से १०० पुस्तकें , समीरमलजी भैरूलालजी सा० चोरडिया की स्मृति में श्रीमान् चम्पालालजी चोरडिया पादू रुपारेल की तरफ से ३५१ पुस्तके , हगामीलालजी सा० पालड़ेचा धनोप की तरफ से ५० पुस्तके ,, रतनसिंहजी सज्जनसिंहजी सा० महता सांगानर वालों की मातेश्वरी श्रीमती चाऊबाई की तरफ से १०० पुस्तके " फतहराजजी सा डूगरवाल थांवला की तरफ से ५० पुस्तके , रतनलालजी घेवरचन्दजी सा० खाबिया पादू रुपारेल की तरफ से २५ पुस्तकें , केवलचन्दजी नेमीचन्दजी सा० तातेड़, शेरसिहजी की रीया की तरफ से ५० पुस्तके , मैंरूमलजी सा० आबड़ पादू रुपारेल की तरफ से २१ पुस्तके , सोहनलालजी सपतराजजी सा० खाबिया पादू रुपारेल की तरफ से ११ पुस्तकें , घेवरचन्दजी सा० सांड पादू रुपारेल की तरफ से ११ पुस्तके , मोहनलालजी सा० खाबिया पादू रुपारेल __ की तरफ से ११ पुस्तकें "धूलचन्दजी सम्पतराजजी सा० पादू रुपारेल की तरफ से ११ पुस्तके " सुगनचन्दजी सा.आबड़ पादू रुपारेलकी तरफ से ११ पुस्तके , भेरूमलजी सा०खाबिया पादू रुपारेल की तरफ से ५ पुस्तकें

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