Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
View full book text
________________
इमी प्रकार और भी बहुन ने अन्तर हैं।
वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास कृत रामचरितमानस दोनों ही अन्य हिन्दू संस्कृति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं । वाल्मीकीय तो समस्या का प्रथम और राम का समकालीन ग्रन्य होने के कारण और तुलसी बा मानन जनजन का कण्ठहार होने के कारण ! वर्तमान युग में राम-कवा का नमान्य उद्घोपक और प्रचारक एकमान तुलसी का मानस है। इन दोनों विशिष्ट ग्रन्या में ऐसे अन्तर अवश्य ही विचारणीय है। देवी भागवत
राम का चरित देवी भागवत में भी प्राप्त होता है। उसमें एक विशिष्ट घटना है-राम द्वारा की जाने वाली शक्ति पूजा । यह स्थल उस समय का है जव राम-रावण युद्ध में रावण की रक्षा 'चण्डी' (देवी का एक रूप) कर रही थी। उसके कारण राम के हाथ-पैर बँध से जाते हैं । राम शस्त्र-संचालन नहीं कर पाते । वे निराश हो जाते हैं तव अक्षराज जाम्बवान् उन्हें देवी की आराधना की सम्मति देते हैं । आश्विन शुक्ला एकम् (पड़वा) से राम शक्ति की आराधना करते हैं। आठ दिन की आराधना से शक्ति (दुर्गा) प्रसन्न होकर उन्हें विजयी होने का वरदान देती है। साथ ही वह इनके मुख में होकर शरीर में प्रवेश कर जाती है । इसके पश्चात ही राम लंकापति रावण को मारने में सफल हो पाते हैं ।' ___ इस घटना की साक्षी स्वरूप सेतुबन्ध रामेश्वरम् का शिव मन्दिर प्रसिद्ध है। अद्भुत रामायण
अमृत रामायण का नाम ही अद्भुत है तो घटना क्रम अद्भुत क्यों नहीं होगा ? जरा सीता-जन्म के प्रसंग पर दृष्टिपात कीजिए
१ देखिए देवी भागवत, शिवमहिम्न स्तोत्र और निरालाजी का खण्ड महा
काव्य 'राम की शक्ति पूजा । . . .