Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 9
________________ विषयानुक्रमणिका प्रकाशकीय सम्पादकीय प्राक्कथन १. स्वर्णिमकाल २. केवलिकाल इन्द्रभूति गौतम जन्म और वंश शिक्षा वेद-विद्या के आचार्य एवं उनके छात्र गार्हस्थ्य-जीवन याजकाचार्य के रूप में स्वाभिमान म. महावीर से शास्त्रार्थ का विचार शास्त्रार्थ के लिये प्रयाण भ. महावीर को देखकर विचार म. महावीर द्वारा उद्बोधन जीव प्रत्यक्ष सिद्ध है विज्ञानघन का वास्तविक अर्थ एकात्मवाद का निराकरण हृदय-परिवर्तन शिष्यमण्डल सहित प्रव्रज्या दीक्षा-समय पिता की विद्यमानता दीक्षा पर दोनों परम्पराओं का समन्वय गणधर-पद प्रदान की विधि गणधर-पद की महत्ता गण और गणधर इन्द्रभूति और सुधर्मा को विशिष्ट पद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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