Book Title: Haribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan Author(s): Nemichandra Shastri Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa MujjaffarpurPage 22
________________ कुतूहल मनोरंजन अमानवीय तत्त्व अप्राकृतिकता अतिप्राकृतिकता अन्धविश्वास उपदेशात्मकता अनुश्रुतिमूलकता अद्भुत तत्त्व का समावेश हास्य विनोद पारिवारिक जीवन चित्रण मिलन बाधाएं लोकमानस की तरलता पूर्वजन्म के संस्कार और फलोपभोग साहस का निरूपण जनभाषातत्त्व सरल अभिव्यंजना जनमानस का प्रतिफलन परम्परा की अक्षुण्णता कथानक रूढियां परिभाषा और उपयोग ट विषय की दृष्टि से कथानक रूढियों का वर्गीकरण लोक प्रचलित विश्वासों से सम्बद्ध कथानक रूढियां अमानवीय शक्तियों से सम्बद्ध कथानक रूढियां अतिमानवीय शक्ति और कार्यों से सम्बद्ध कथानक रूढियां पशु-पक्षियों से सम्बद्ध कथानक रूढियां तन्त्र-मन्त्र से सम्बद्ध कथानक रूढियां लौकिक कथानक रूढियां कविकल्पित कथानक रूढियां Jain Education International For Private & Personal Use Only २५२ २५२ २५२ २५३ २५३ २५४ २५५ २५५ २५६ २५६ २५६ २५७ २५८ २५८ २५८ २५९ २५९ २५९ २५९ २६० २६० २६२ २६६ २६५ २६९ २७४ २७५ २७९ २८३ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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