Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 12
________________ (११) तिहां देहरु जी, हनुमंत करे होकार ॥ क० ॥७॥ बावन वीर तिहां बीहामणा जी,ममरु वाजे हाथ ॥ फरुख चढीने माश्ण धसमसे जी, नाके घाली नाथ ॥ कम्॥॥नूत प्रेत ने व्यंतर तिहां घणां जी, जोटिंग करे ऊंकार ॥जोगणी पीउतिहांकिणे जागती जी, शक्ति तणी तिहां कार ॥ क० ॥ ए॥ रुंढमुंग माथां तिहां रमवडे जी, वहे तिहां लोहीनी खाल ॥ अग्निकुंम सदा आगे बले जी, करती जालो जाल ॥ क० ॥ १०॥ कुमरी एहवां कौतुक जोवती जी, पूजाविधि सह लेय ॥बति बाकुल ने तिलवट लापशी जी, तीन प्रदक्षिणा देय ॥ ११ ॥सर्व गाथा ॥ए॥ ॥ दोहा ॥ ॥ मंत्रीसर मन चिंतवे, अवसर लाधो श्राज ॥ शक्ति तणे सान्निध्य करी, सारीश निश्चे काज॥१॥ हुँ मंत्रीश्वर तो खरो, एहने पाडं पास॥ए हंसावलि हरखजु, राय तणी करुं दास ॥२॥ मुहताने मति जपनी, बोले देवी वाण ॥अंधारे अलगां थका,चाले शे मुज प्राण ॥३॥ ममप आवी मानिनी, हाकोटी तव हिक ॥ मत पेसे रे पापिणी, मारीश तुजने मीक Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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