Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(२४)
॥दोहा॥ ॥ मनकेसरी मुहता जिस्या, पूरा हुवे प्रधान ॥ राजानी चिंता हरे, मेले नवे निधान ॥१॥बुझिमंत पासे हुवे, सारे संघलां काज ॥ नरवाहन मंत्री जणी, ये एक देश- राज॥॥राज धुरंधर रायने, मुदता समो नहीं कोय ॥ काज समारे स्वामीनां, जो बुधि बहुली होय ॥३॥ नरवाहन राजा सदा, पूरव पुण्य पसाय ॥ राणीशुं सुख जोगवे, चिंता नहीं मन काय ॥४॥ पहिलो खंड पूरो हुवो, कहे श्रीजिनो. दय सूरि।नणे गुणे श्रवणे सुणे, तिण घर आनंदपूर ॥५॥सर्व गाथा॥२०॥इति श्रीहंसवाप्रबंधे रायमंत्रिपरदेशगमनमंत्रिकृतबुझिचित्रकारकेलवणहंसावलिपाणिग्रहणनामा प्रथमः खंडः संपूर्णः ॥१॥
॥ खमं बीजो॥
॥दोहा॥ ॥ हिव बीजो खंड बोलशु, श्रीजयतिलक पसाय॥ दहकर पूरे करे, तुसे सरसतीमाय ॥१॥हंसावलि राणी समी, नगर नहीं को नारी॥दान शील तप नाव गुण, जाणे सहुअ विचार॥२॥ हंसावलि राणी तणे, गर्न हुवा बे बाल ॥केलिगर्जतिण सारिखा, अंगेअति
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