Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ (४०) ॥ बा ॥राय चरणे श्हां श्रावीया रे लाल, कर्मे कीयो प्रवेश रे ॥ बा ॥ रा० ॥१४॥ सर्व गाथा ॥३ ॥ ॥दोहा॥ ॥ राजा राणी बेहु जणे, मूल न मानी वात ॥ वार वार मत पूजो, करजो बिहुंनी घात ॥१॥ राय कहे तिम पाधरो, पासो पडे ते दाव ॥ निर्धन पुरुषनुं बोलवू, जाणे वायो वाय ॥२॥ ॥ढाल आठमी॥ ॥ देशी मधुकरनी ॥ धन सार्थवाह साधुने, दीधुं घृतनुं दान ॥ ललना ॥ राग जयश्री ॥ ॥राय नणे मुहता नणी, काम करो हवे जाय ॥ राजा ॥ राणी मुःख पूरे करो, शंका म करो कांय॥ रा॥१॥राणीनुं मन राखवा, कुमर उतास्यो मोह॥ राण ॥ राजा राणीने कारणे, मन मांहे धरतो कोह॥ राण ॥२॥ मनकेसरी मन दृढ करी, लागो राणी पाय ॥रा० ॥ बे बालक माचा थका, लोके फट फट् थाय ॥ रा० ॥३॥ कहे राणी मुहता जणी, जो तुज जीवण काज ॥ रा० ॥ बे जिम त्रीजो मेलगुं, नहीं गणशं तुज लाज ॥रा॥४॥मनकेसरी मन शंकीयो, जिम कहीए तिम साच ॥ रा॥ काम करूं हवे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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