Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 97
________________ (ए) आपुं तेहने राज ॥प्या० ॥म॥१७॥ सात दिवस वोख्या जिसे रे लाल, कुमरी सुणीयो ढोल ॥प्या॥ राजाने जाइ कहो रे लाल, कहीशु महारो बोल ॥ प्या० ॥ म० ॥ १७॥ मुजने मेलो पालखी रे लाल, जो तुमने डे चाह ॥ प्या० ॥ वलराज कडं वातमी रे लाल, राजाने धरी उछाह ॥ प्या०॥ मन ॥१॥ राजाने जर विनव्यो रे लाल, राय धस्यो उदास ॥प्या॥ ले जा तुम पालखी रे लाल, आणो महारी पास ॥ प्या०॥म॥२॥राजा मूकी पालखी रे लाल, वाया घरनी बार ॥प्या॥ पुप्फदंत मनमें हरखीयो रे लाल, में परणी सा नारी ॥ प्या० ॥ मण ॥१॥ किम मूकुं हुं एकली रे लाल, प्रसिद्ध करूं घरनारी ॥प्या॥सर्व महाजन मेलीने रे लाल, जायं लक्ष दरबार ॥ प्या० ॥ म ॥२२॥ मुम्मण शेठ परिवारशुं रे लाल, पुप्फदंत हुवो साथ ॥ प्या० ॥ पंच शब्द आगे वाजता रे लाल, हवे कुंवरी किण हाथ ॥ प्या० ॥ म ॥ २३ ॥ सर्व गाथा ॥ sए ॥ ॥ ढाल पाठमी ॥ चोपाश्नी देशी ॥ ॥सहु महाजननी साथे हुर्ड, मुम्मण शेठने ले नेटीयो ॥ फांद हलावे चावे पान, हाथे धरे अनि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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