Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(एव) माजिम गयवर रेवा नदी रे, जिम चकोर चित्त चंद ॥प्या गामाशालोक सह पासे कीयारेलाल, मालण राखी पास॥प्या॥ विनतमी एहवी लखी रे लाल,हुं तोरी दास॥प्या॥म॥३॥ रही न शकुं हुं तो विना रे लाल, पूगी न शकुं कोय ॥ प्या० ॥ महारे मन तुंहीज अ रे लाल, तोही न जाणुं कोय ॥ प्यान ॥ म०॥४॥ कंता तारे कारणे रे लाल, डोमी शरीरनी सार ॥ प्या० ॥ लूखे मन हुं श्हां रहुँ रे लाल, लेती निरस श्राहार ॥ प्या० ॥ म० ॥५॥ महारे तो विण को नहीं रे लाल, बीजो इण संसार ॥ प्या० ॥ बीजा पुरुष बंधव समा रे लाल, श्ण नव तुं जरतार ॥प्या॥म॥६॥शील नली पेरे पालतां रे लाल, आवी बुं इण गम ॥ प्या० ॥ पान मांदि संदेशमो रेलाल, लखीयुं श्रापणुं नाम॥प्या०॥ मण ॥७॥बीडं बांधी आपीयुं रे लाल, देजो पुत्रने हाथ ॥प्या०॥ दीधी मुद्धा हाथनी रे लाल, दीधी बहुली आथ ॥प्या॥ म०॥ ॥ मालण श्रावी मलपती रे लाल, आवी थापण गेह ॥ प्या॥ बीडुं लइ आगे धयुं रे लाल, कुमरीए दी, जेह ॥प्या॥ मण ॥ए ॥ पान वांच्युं लश् प्रेमशुं रे लाल, हरख्यो
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