Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 96
________________ (ए ) दियमा मकार॥प्यााचित्रलेखा साची सती रे लाल, नहीं एहवी संसार ॥ प्या० ॥ म ॥ १० ॥ हंस कुमर वनराजने रे लाल, जिण विध मलशे आय ॥ प्या॥ सो विधि कहीशुं श्हांकणे रे लाल, सहु सुणजो चित्त लाय ॥ प्या०॥म०॥ ११ ॥ कुंती नगरोधी नीकल्या रे लाल, समुझे श्रीवराज ॥ प्या॥ कुंती नगरी तेहनो रे लाल, मृत्यु लह्यो नरराज ॥ प्या० ॥ म० ॥ १५ ॥ राजाने सुत को नहीं रे लाल, नगरी हुश् निर्नाथ ॥ सु० ॥ पंच शब्द नेला करी रे लाल, मलीया सहुको साथ ॥ प्या०॥ म० ॥१३॥पूर्ण कलश लेइ हाथीयो रे लाल, ले फरीयो सहुँगाम प्या॥ कबाडी केटहण घरे रे लाल,आयो तिहां किण गम ॥ प्या० ॥ म ॥ १५ ॥ कलश नमाव्यो हाथणी रे लाल, हंस हुई तिहां राय ॥प्या॥ वाजां तिहांकणे वाजीयां रे लाल, प्रणमे सहुको पाय ॥ प्या ॥ म॥१५॥ हंसराज राजा हुवो रे लाल, सहुको माने आण ॥ प्या॥वराज नवि विसरे रे लाल, हुतो जीवन प्राण ॥प्या ॥म ॥ १६ ॥ दिन दिन पमह वजावतो रे लाल, जे सुधि कहे वठराज॥प्या०॥ एकण नगरी तेहy रे लाल, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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