Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 103
________________ ( १०२ ) रायजी, दुःख न कीजे कोइ ॥ हो० ॥ तुज बंधव मलशे सही, जीवंतो जो होइ ॥ हो ॥ ए० ॥ ३ ॥ हंस नणें सुए कामिनी, पमीयो समुद्र मकार ॥ हो० ॥ जीवंता कहो केम मले, तव जंपे ते नार ॥ हो० ॥ ए० ॥ ४ ॥ तुज बंधव इहां यावी यो, सागर तरी महाराज ॥ हो । सलखु मालपने घरे, रहे वे श्री वराज ॥ हो० ॥ ए० ॥ ५ ॥ एद वचन श्रवणे सुणी, प्रणमे नारी पाय || हो० ॥ वात कही सहु वांसली, वचघरणी तुं माय ॥ हो० ॥ ए ॥ ६ ॥ हंस कुमर दरखे करी, पहोतो माजण गेह ॥ हो० ॥ पूठे सहु पाला पले, नर नारी नहीं बेह || हो० ॥ ए० ॥ ७ ॥ बेहु जाइ नेला थया, मलीया मनने रंग || हो० ॥ नगर हुआं वधामां, कीधा बहुला जंग ॥ हो० ॥ ए० ॥ ८ ॥ घर घर गूमी उचली, तरीयां तोरण बार ॥ हो० ॥ पग पग नाटक नाचती, गावे अबला बाल ॥ हो० ॥ ए० ॥ ए ॥ सुखासन साथै घणां साथे बहु सवार ॥ होणाराजलोक मांदे गया, दरख्यां सहु नर नार ॥ हो० ॥ ए० ॥ १० ॥ नारी कंत बेदु मल्यां, फलीया पुण्य अंकुर ॥ दो० ॥ वात सुणो दवे शेवनी, कहे श्री जिनोदय सूरि ॥ हो० ॥ ए० ॥ ११ ॥ सर्व गाथा ॥ ४२ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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