Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 113
________________ ( १९५) ए॥ गल चोराशी परगडो जी, साधु माहे मुणींद ॥ ए॥६॥ तस वाटे महिमानिलो जी, श्रीजयतिलक सूरि राय ॥ ए० ॥ महोटा महोटा नूपति जी, प्रणमे जेहना पाय ॥ ए० ॥ ७॥ संवत् सोल एंशीए समे जी, श्राशो सुदि रविवार ॥ ए॥ विजयदशमीए संथुण्यो जी, श्रीसंघने सुखकार ॥ ए॥॥ एह प्रबंध सोहामणो जी, कहे श्री जिनोदय सूरि ॥ ए॥जणे गुणे श्रवणे सुणे जी, तिणघरे आणंदपूर ॥ ए० ॥ए॥ चार खंम चोपाइ करी जी, श्रीसंघ सुणवा काज ॥ ए० ॥ पुण्ये शिवसुख पामीया जी, हंस अन वडराज ॥ ए॥१०॥ सर्व गाथा ॥ एएए ॥ इति हंसराजवछराजप्रबंधे चतुर्थः खंमः संपूर्णः॥४॥ तत्समाप्तौ च श्रीहंसराजवराजरासः समाप्तः ॥ ॥इति श्री हंसराज वनराजनो रास समाप्त ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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