Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 111
________________ (१९०) बे बांधव विख्यात॥सो॥ए॥कर्ममेले धन सहु गर्यु ॥सो॥धन शोचे दिन रात ॥सो॥जूधर सूधर बे जणा॥सो॥जाय सदा परनात ॥सो॥१०॥ कंध कुहामा लेश् करी ॥ सो० ॥ कटिए बांधे दोर ॥ सो ॥ रोटी पण पूठे धरे ॥ सो० ॥ पोते पाप अघोर ॥ सो॥ ११ ॥ रानथी थाणे इंधणां ॥सो॥ नगरे वेचण जाय ॥ सो० ॥ एक टको लेश सुंसतो ॥ सो ॥ लू सूकुं खाय ॥ सो० ॥ १५॥ बे बांधव रणमां गया ॥ सो ॥धण लेवा काज ॥ सो ॥ रोटा ले आगे धस्या ॥ सो० ॥ नोजन करवा काज ॥ सो० ॥ १३ ॥ साथ थकी चूक्या यति ॥ सो० ॥ पडीया रणही मजार ॥ सो० ॥ अन्न पाणी मले नहीं ॥ सो० ॥ जे कीजे श्राहार ॥ सो० ॥ १४ ॥ बेहु बांधव मुनि पेखीया॥सो॥दी, अढलक दान॥ सो॥मारग पण देखामीयो॥सो॥तिणे पुण्य हुवा राजान॥सो॥ १५॥ फुःख बीजां जे पामीयां ॥सो॥ ते पूरव कृत कर्म ॥ सो० ॥ एम जाणीने श्रादरो ॥सो॥ साचो श्री जिनधर्म ॥ सो॥१६॥नरवाहन राजा कहे ॥ सो ॥ रहेजो त्यां लगे साध ॥सो॥ वराज राजा उq ॥ सो० ॥ लीचं चारित्र निर्बाध ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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