Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 98
________________ मान ॥ १ ॥ हालो दालो सहुको कहे, पालखी पासे उजा रहे ॥ चांचो चांगो ने चांपशी, गांगो सांगो ने धर्मशी ॥ २॥ पेथो पोपट ने पदमशी, साकर सुंदो ने करमशी ॥ तेजो राजो ने लखमशी, कचरो घेलो ने पोमशी ॥ ३ ॥ वरधो वास ने वेरशी, जागो जेमल ने जेतशी ॥ नेतो खेतो ने खीमशी, नादो जादो ने भीमशी ॥ ४ ॥ राजो रामो ने राजशी, तालो तोलो ने तेजशी ॥ कीको वीको ने सोमशी, हरखो हीरो ने हेमशी ॥ ५ ॥ राणो रणमल ने रूपशी, कल्लो देलो ने कूपशी ॥ सूजो सामल ने समरशी, पासो घासो ने मरशी ॥ ६ ॥ एदवा एहवा महोटा शेव, सहुको बेठा वमला देव ॥ मांहोमांहे ढूंके इसे, राजाने जोशुं इण मिषे ॥ ७ ॥ पुष्कदंत घर जेवी नार, बीजी वर नहीं संसार ॥ सहुको महाजन पोले गया, बमीदार जइ आगे कह्या ॥ ८ ॥ परस्त्री बंधव हंसराज, आमी प्रियन बंधावे काज ॥ स बेस जाजां धयां, महाजन सहुको तिहां संचस्या ॥ ७ ॥ सहु महाजन की यो जूहार, प्रियब मांहि बेठी ते नार ॥ यथायोग्ये बेठा सदु, लोक मल्या बे सुवा बहु ॥ १० ॥ राय कहे सुपजो सहु लोक, हं० ७ ( 6 ) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org


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