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(३ए) ॥रा॥६॥ मनकेसरी मुहते तिहां रे लाल, श्रावी कीयो जुहार रे ॥ बा ॥ राणी वात सहु कही रे लाल, मुहतो करे विचार रे ॥ बा ॥ रा ॥ ७॥ राणीए शरीर वलूरीयुंरे लाल,नहीं कोरपुरुषनो हाथ रे॥ बा ॥ स्त्रीयां अनरथ उपजे रे लाल, नेस्यो श्णे नाथ रे॥बा ॥रा॥७॥ राय कहे मंत्री सुणो रे लाल, मारो ए बेहु पूत रे ॥ बा ॥ ढील शहां करवी नहीं रे लाल, राख्यो न रहे सूत रे ॥ बा॥ रा० ॥ ए॥ मनकेसरी मुहतो कहे रे लाल, कूडो म करो रोष रे॥बा॥ नारी वचन नवि मानीए रे लाल, कुमरनो नहीं को दोष रे ॥बा॥रा॥१०॥अणविचास्युं नवि कीजीए रे लाल, कीजे काम विचार रे ॥ बा ॥ दोष दश शिर उपरे रे लाल, नारी चरित्र अपार रे ॥ बा ॥रा ॥ ११॥जोजोने नर पंमिता रे लाल, सुसर मनावी हार रे ॥ बा ॥ वेगवती वली ब्राह्मणी रे लाल, दोष दीयो अणगार रे ॥बाण ॥रा०॥ १२श्म जाणी नवि कीजीए रेलाल, हंस न दीजे देह रे ॥ बा ॥ पांचे दिन जातां थका रे लाल, रणथी रहेशे गेह रे॥ बारा॥ १३ ॥कर्म मेले बे किहां वध्या रे लाल, पनर वरष परदेश रे
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