Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 39
________________ ( ३८ ) हंसती हुं जारजा, तिए ससरा थें थाय ॥ अलगा रहेजो यम थकी, मनमें चिंते राय ॥ ६ ॥ ॥ ढाल सातमी | ॥ कोयलो पर्वत धुंधलो रे लाल || ए देशी || ॥ राणी वचनज सांजल्युं रे लाल, राजा रह्यो विमास रे ॥ बालूमा ॥ सिंह तां जे वाबडां रे लाल, कहो किम खाये घास रे ॥ बा० ॥ रा० ॥ १ ॥ परनारी बंधव हुता रे लाल, गंगाजल जिम पूत रे || बा० ॥ जादव वंशे उपना रे लाल, कीधो केहो सूतरे ॥ बा० ॥ ० ॥ २ ॥ नजर जरी राय जोश्युं रे लाल, फाड्यं सुंदर चीर रे ॥ बा० ॥ कंचुको ते काढीयो रेलाल, देखामीयुं ते शरीर रे || बा० ॥ रा० ॥ ३ ॥ ते देखीने शंकीयो रे लाल, मीठो सहु ए कूम रे ॥ बा० ॥ गुणथी अवगुण मानीयो रे लाल, अंनेरी कीयो घूम रे ॥ बा० ॥ रा० ॥ ४ ॥ इंधण घृत जिम घालीयां रे लाल, अधिको अग्निदीपाय रे ॥ बा० ॥ राणी तणे वचने करी रे लाल, धमधमीयो नर राय रे ॥ बा० ॥ रा० ॥ ५ ॥ दासी तेडवा मोकली रे लाल, पहोती मुहता पास रे || बा० ॥ साद दीये बेस्वामीजी रे लाल, राणी तो आवास रे ॥ बा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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