Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 59
________________ (५७) केलवी, एहने नहीं शोक ॥ ॥ कम् ॥ जण जण सहु एहवू चवे, राय इण नहीं को खोम ॥ महेर करो अम्ह उपरे, बंधणथी ठगेम ॥ ए॥ क० ॥ शेठ कहे राजा सुणो, लोक न लहे ए वात ॥ जो तुम एहने डोमशो, तो करशे मुज घात ॥ १० ॥क० ॥ के बूटो घर बालशे, देशे बहुलां छुःख ॥णने सही मास्या थका, हुं पामीश सुख ॥११॥क० ॥ वबराज मन चिंतवे, शेठनो नहीं दोष ॥ श्राप कीयां फल पामीए, जीव म करे रोष ॥ १२॥ कण्॥शेठ कहे राजा नणी,एह हण्या शी खाण ॥ निकर गर मास्या थका, कंपे के काण ॥ १३॥ कण् ॥जो तुमे एहने बोमशो, सहुको करशे एम ॥जो एहने नहीं मारशो, तो अन्न खेवा मुज नेम ॥ १४ ॥ क०॥राय कहे कोटवालने, शेठ राखो रूख ॥ एहने सही मास्या थका, शेग्नुं जांजशे पुःख ॥ १५ ॥ क० ॥ कोटवाल लेश नीकट्यो, हणवाने काज ॥ बूटे खर बेसारीयो, जोजो महाराज ॥ १६ ॥ क० ॥ मस्तक दीधुं करूं, मुख कीधुं श्याम ॥ वनराज मन चिंतवे, जोजो विधिनां काम ॥ १७ ॥ कम् ॥ शेठ गयो निज स्थानके, मुज सरीयु काज ॥ में उपाय कीधो जलो, मास्यो वन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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