Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 76
________________ (१५) ॥ खंग चोथो ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ शुभ मति दीजे सरसती, माया करी मुज माय ॥ श्रीजय तिलक सूरींद गुरु, प्रणमुं तेहना पाय ॥१॥चोथो खंड सुणजो चतुर, सुणतां चरिज थाय ॥ चित्रलेखा नारी जणी, वात कहे समजाय ॥ २ ॥ मात पिताए माहरु, नाम दीधुं वछराज ॥ लघु बंधवने घ्यापीयुं, नाम ते श्री हंसराज ॥३॥ जन्मकालथी नीसख्या, बे वधीया परदेश || पन्नर वरष तिहांकणे रह्या, नेट्यो आवी नरेश ॥ ४ ॥ देशवटे बेहु नीकल्या, राणी तो सरूप ॥ मनकेसरी म राखीया, लोक न जाणे नूप ॥ ५ ॥ ॥ ढाल पहेली ॥ ॥ जले पधारया तुमे साधुजी रे ॥ ए देशी ॥ ॥ बांधव राणी नीकल्या रे, पहोंच्या वडे उद्यान रे ॥ वाट घाट मुंइ संघता रे, वृक्ष तपां नहीं ज्ञान रे ॥ १ ॥ जुवो रे विचित्र गति कर्मनी रे, कर्म करे ते होय रे ॥ विधिलिखियो ते नवि मिटे रे, एम कहे सहु कोय रे ॥ जुवो० ॥ २ ॥ लघु बंधव तरस्यो थयो रे, लेवा गयो वारि रे ॥ पाणी लेइ पाटो वढ्यो रे, वांसे कर्म प्रकार रे ॥ जुवो० ॥ ३ ॥ हंस कुमर सापे मश्यों Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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