Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 84
________________ ( ८३ ) ॥ कार रे ॥ कं० ॥ बार वरपे मेलो दुवो रे, पुण्य तणे परकार रे || कं० ॥ २८ ॥ शंख राजा बेदावीया रे, कलावती कर दोय रे ॥ कं० ॥ जीवंतां मेलो हुवो रे, (ते तो ) पुण्य तणां फल जोय रे ॥ कं ॥ २७ ॥ जीव दृढ मन कर आपणुं रे, रोयां न लाने राज रे ॥ कं० ॥ जीवंतां मेलो होशे रे, निश्चेशुं वत्स - राज रे || कं० ॥ ३० ॥ सर्व गाथा || ६८४ ॥ ॥ ढाल त्रीजी ॥ ॥ राग गोमी ॥ वणजाराना गीतनी देशी ॥ ॥ मोरा जीवन हो तो विष रह्यो रे न जाय, एकलको हुं केम रहुं ॥ मोरा प्रीतम हो । मोरा जीवन हो एहवो जग नहीं कोइ, मननी हो वात किने कहुं ॥ मो० ॥ १ ॥ मो० ॥ समुद्र जणी दे शीख, शरणे राखो स्वामीने जले ॥ मो० ॥ मो० ॥ मरण शरण मुज तोय, ऊंपावे कंत नवि मिले || मो० ॥ २ ॥ मो० ॥ म प म प तुं नार, रत्नाकर एह कहे ॥ मो० ॥ मो० ॥ ववराज तुज कंत, मछ पूर्व बेगे वढे ॥ मो० ॥ ३ ॥ मो० ॥ तुजथी पहेलो कंत, कुंती नगरे जायशे ॥ मो० ॥ मो० ॥ तिहां मलशे जरतार, आगे आणंद थायशे ॥ मो० ॥ ४ ॥ मो० ॥ अंबर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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