Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 79
________________ ( ७ ) रे ॥ सुख जोगवो देवता समां रे, जावानुं शुं काज रे ॥ जु० ॥ २१ ॥ तुम पसाये सहु माहरे रे, बहुली बे भुजाय रे ॥ हंस कुमर मलबा जणी रे, जाशुं पृथिवीनाथ रे || जु० ॥ २२ ॥ ज्यां लगे नावुं त्यां लगे रे, पुत्री राखो स्वामी रे ॥ थोमा दिनमें श्रावसुं रे, सहीय करी हुं काम रे ॥ जु० ॥ २३ ॥ चित्रलेखा कहे कंतने रे, ए नहीं नारीनी रीत रे ॥ जिम पुरुषोनी गंहमी रे, तेहवी तो मो प्रीत रे ॥ जु० ॥ २४ ॥ हठ लीधो नारीए घणो रे, तव ते मानी वात रे ॥ करो सकाइ चालशुं रे, जणाव्यो हवे तात रे ॥ जु० ॥ २५ ॥ सर्व गाथा ॥ ६४१ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ शुभ दिन शुभ वेला कुमर, पूढी नृप परिवार ॥ राजा दीधो दायजो, पहोंचाडे नर नारी ॥ १ ॥ राजा राणी बेहु जणां, शीख दीये ससनेह ॥ पुत्री आपण कंतने, मत तुं दाखे बेह ॥ २ ॥ दली मली सहुको चल्यां श्राव्यां आपण ठाम ॥ पुष्कदंत वच्छराज बे, चाल्या आपण गाम ॥ ३ ॥ समुद्र तणी पूजा करे, कुशल उतारो साम ॥ खाखां पूगी मूकीने, विधिशुं करे प्रणाम ॥ ४ ॥ हंकारयां प्रवहण सदु, बेटां " www.jainelibrary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only

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