Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 38
________________ ( ३७ ) दो लीयो, चाल्यो लेइ हंसराज रे ॥ ता० ॥ ए॥ राणी कौतुक जे कीयां, कहेतां न आवे बेह रे ॥ लाज मर्यादा मूकी करी, आप वलूरीयो देह रे ॥ ता० ॥ १० ॥ शोक्यना पुत्रने सामटा, बेदु मरावशुं वाम रे ॥ नाम लीलावती तो खरी, जो करूं एवं काम रे ॥ ता० ॥ ११ ॥ कंचु फामी कटका कीयो, फामीयुं सुंदर चीर रे ॥ जंधे मुखे पडी खाटले, सर्व संकोची शरीर रे ॥ ता० ॥ १२ ॥ एम उपाय राणी करी, कीधुं कपट अपार रे || सोलमी ढाल पूरी हु, कहे श्री जिनोदय सार रे ॥ ता०॥१३॥ सर्व गाथा ॥ ३०८ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ लीलावती राणी तणे, मंदिर आयो राय ॥ राणी किहां देखी नहीं, मंदिर खावा धाय ॥ १ ॥ पूबे राय सहेलीयां, राणी नहीं आवास || कर जोमी दासी कहे, राणी उदास ॥ २ ॥ जैरा मांहि छालगी थकी, सूती बेतिहां जाइ ॥ वात सुणीने शंकीयो, पहोतो राजा धाइ ॥ ३ ॥ कहे राणी सूती किमे, कहे तुं मनन वा ॥ पटराणी तुं माहरी, तोशुं अधिक प्रीत ॥ ४ ॥ बोलावी बोले नहीं, खेंच्युं राये चीर ॥ ससराजी थें सांजलो, मूको महारुं चीर ॥ ५ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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