Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 56
________________ (५५) जी, जोवा लाग्यो वछ हो ॥ बां० ॥ २ ॥ साव जनो जय नहीं इहां जी, कोणे बोड्या श्राय ॥ मूढं मरुं केम उतरे जी, पगे कहो केम जाय हो ॥ बां ॥ ३ ॥ तुजमें मति हुती घणी जी, अधिकं जोर शरीर ॥ नदीय नर्मदा तिहांकणे जी, तें जीत्या बावन वीर हो ॥ ० ॥ ४ ॥ किए दिशि हुं जोवा फर्रु जी, कोणने हुं वाट ॥ उजम उजड जोवतो जी, लाधे बहुला घाट हो ॥ बां० ॥ ५ ॥ पग जोवंतो नीकल्यो जी, हुइ जीवनी श्राश ॥ एकलडो हुं इहांकणे जी, नहीं को बीजो पास हो ॥ बां० ॥ ६ ॥ घो पग नवि नीसरे जी, होइ गयो थालमाल ॥ साद दीये सरला घणा जी, हैडे हुई साल हो ॥बां० ॥ ७ ॥ किहां सुध लागी नहीं जी, कोइ न सरीयुं काम ॥ पाठो कुंती आवीयो जी, जिहां मुम्मनुं गम हो | बां० ॥ ८ ॥ शेठ जणी सहु जाखीयुं जी, जे हुए चरिज वात ॥ चंदन त्यो थें आपणो जी, dis सुप्रपात हो | बां० ॥ ए ॥वार रतन दीगं तुरी जी, ते केम दीघां जाय ॥ मग आघा पाढा नरे जी, न सुणे वातज कांय हो ॥ बां० ॥ १० ॥ बुद्धि फरी तिहां शेवनी जी, ए परदेशी बाल ॥ एहनो माल For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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