Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 43
________________ (४२) मन आपणुं, सीके वंडित काज ॥ रा०॥ १४ ॥ सर्व गाथा ॥ ३४५ ॥ ॥दोहा ॥ गोमी राग मध्ये ॥ ॥ एम शिखामण देश्ने, वलीयो पालो गेह॥मनकेसरी मन चिंतवे, राखुं सघली रेह ॥१॥ दोश मृग हणीयां तिहां, पारधी दीगे एक ॥ तेहनां नेत्र मागी लीयां, मनमें आणी विवेक ॥२॥ ते लोचन ले करी, पहोतो राणी पास ॥ लोचन खेर आगे धयां, कीधो सहु प्रकाश ॥३॥ ॥ढाल नवमी ॥ नायकानी देशीमां॥ ॥राणी लोचन देखीने रे लाल, धरीयो अंग उदास रे ॥ लीलावती ॥ महारं जाण्युं में कीयुं रे लाल, पहोंचाड्या स्वर्गवास रे ॥ लीलावती ॥ रोष धरी मन चिंतवे रे लाल ॥१॥ ए आंकणी॥ कहे राणी लीलावती रे लाल,कहो मुहता एक वात रे॥ली०॥ किण स्थानके ले जरे लाल, कीधो बेहुनो घात रे॥ ली ॥ रो० ॥२॥ कहे मंत्री सुणो मातजी रे लाल, आंखे पाटा बांध रे ॥ ली ॥रण मांहे ले जाश्ने रे लाल, मास्या बेहुने कांध रे॥ ली० ॥ रोग ॥३॥ बे बालकने मारतां रे लाल, कां कही मुख Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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