Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 31
________________ (३०) माख्या न मरे मर्मो रे ॥ एउनुं खंडु नवि हुवे, पोते पूरो धर्मो रे॥वी॥५॥चिंतातुर करशुंघणा, चूकावू श्ण गमो रे ॥मात तातथी चूक, शक्ति सही शुन नामो रे॥वी०॥६॥ण वचने सहु सुखी हुआ, पद्धता रामत काजो रे ॥ शक्ति देवी तिहां शुंकीयो, पहुती जिहां हंसराजो रे॥ वी०॥७॥ दमो उबाल्यो दावजु, देवी अदृष्ट ते कीधो रे ॥ बे बांधव जोता फिरे, एको काम न सीधो रे ॥ वी० ॥७॥ गम गम जोयो घणो, किहांही न लाधी वातो रे॥ वीर कहे वत्सराजने, कुण उत्तर देशां तातो रे ॥वी ॥ए॥ एक जणे वत्स सांजलो, दमो गयो राजलोको रे ॥ तिहां जाश् श्राणो तुमे, जिम जांजे मन शोको रे॥ वी०॥ १० ॥ हंस नणे वत्सराजने, यो मुजने श्रादेशो रे ॥ तुम प्रसादे हुं आणशुं, करशुं काम विशेषो रे ॥ वी० ॥ ११॥ सुण नाश् मुज विनति, पहोंचो लेवा काजो रे ॥ विलंब तिहां करवो नहीं, शीख दीये वत्सराजो रे ॥ वी० ॥ १२ ॥ त्रणसें साठ अंतेजरी, आपणी तिहां डे मातो रे ॥ मान वचन तुं माहरूं, म करे कांश तुं वातो रे ॥ वी० ॥ १३॥ सर्व गाथा ॥ २५३ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org


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