Book Title: Hansraj Vacchraj no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
मुहता नणी रे, कोश न पूजे वात॥पोल माहे मालण मिली रे, सलखू नामे विख्यात ॥ रा॥६॥मालण माला कर धरी रे, कीधी बिहुँने पेस ॥ शकुन जवू जाणी करी रे, रंज्यो मनमां नरेश ॥ रा० ॥७॥ मालणने मुना दीये रे, राजा करे पसाय ॥ राजा मंत्री बिहुँ जणी रे, मालण लेघर जाय॥रा॥॥ मालण कर जोमी कहे रे, हुं बुं तुमारी दास॥ ए मंदिर एमालीयां रे, रहो सदा इहां वास ॥रा०॥ ए॥ मालणने मंदिर रह्या रे, मनकेसरी ने राय ॥ नगर कुतूहल जोवतां रे, मनोवंडित ते खाय॥रा॥१०॥ एक दिवस राजा जणी रे, मालण जंपे श्राम ॥ बेसी रहो निज स्थानके रे, जो जीवणशुं काम ॥ रा०॥११॥राजा पूछे श्रादरे रे, मामी कहो मुज वात ॥ मरण तणो नय किण विधे रे, मालण कहे अवदात ॥ रा० ॥ १२॥ सर्व गाथा ॥ ४॥
।दोहा॥ ॥ण नगरे राजा तणी, पुत्री ने उरदंत ॥आठम चौदश पूनमे, नर निश्चे जु हणंत ॥१॥ सोम शनिश्चर मंगले, वली चोथो रविवार ॥ण वारे निश्चे हणे, फरे ते लहे मार॥२॥ राजा घर बेठगे रहे,
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 114