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ज्ञान- प्रदीपिका ।
सूर्य का मेष, चन्द्रमा का वृष, परिधि का मिथुन, वृहस्पति का कर्क, धूमका सिंह, बुध का कन्या, शनि का तुला, राहु का वृश्चिक, इन्द्र धनु का धन, मंगल का मकर, केतुका कुम्भ और शुक्र का मीन यह उच्च राशियां क्रमसे होती हैं ।
अत्युच्चं दर्शनं वह्निर्मनुयुक युक् च तिथीन्द्रियैः ॥६॥ सप्तविंशतिकं विंशदभागाः सप्तग्रहाः क्रमात् ।
सूर्य मेष में दश अंश पर, चन्द्रमा वृष में ३ अंश पर, मंगल मकर में २८ अंश पर, बुध कन्या में १५ अंश पर, वृहस्पति कर्क में ५ अंश पर, शुक्र मीन में २७ अंश पर, और शनि तुला में २० अंश पर उच्च के होते हैं।
बुधस्य वैरी दिन चन्द्रादित्यो भृगोररी ॥१०॥ बृहस्पते रिपुभौमः शुक्रसोमात्मजौ विना । शनेश्च रिपवः सर्वे तेषां तत्तदुग्रहाणि च ॥११॥
कावेरी सूर्य, शुक्र के शत्रु सूर्य और चन्द्र, बृहस्पति के मंगल, शनि के शत्रु बुध, शुक्र को छोड़कर सभी ग्रह है 1
वेर्वणिगलिस्त्विन्दोः कुलीरोंऽगारकस्य च । बुधस्य मीनोऽजः सौरेः कन्या शुक्रस्य कथ्यते ॥१२॥ सुराचार्यस्य मकरस्त्येतेषां नीचराशयः ।
रवि की नीच राशि तुला, चन्द्रमा की वृश्चिक, मंगल की कर्क, बुध की मीन, वृहस्पति की मकर, शुक्र, की कन्या और शनि की मेष नीच राशि है ।
राहो पयुगशक्रधनुष्केण मृगेश्वराः ॥ १३ ॥ परिवेशस्य कोदण्डः कुंभो धूमस्य नीचभूः । मित्रस्तुला नक्रकन्यायुग्म चापझषास्त्वहेः ||१४|| कुंभक्षेत्रमहेः शत्रुः कुलीशे नीचभूः क्रियाः ।
राहु का वृष, इन्द्रधनुका सिंह, परिवेशका धनु धूम्र का कुम्भ ये नीच राशियाँ होती हैं। राहु के लिये तुला मकर कन्या मिथुन धनु और मीन ये मित्र राशियां होती है और कुंभ राशि शक्त राशि कही जाती है तथा कर्क मेष ये नीच राशियां होती हैं ।
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