Book Title: Gyan Pradipika
Author(s): Ramvyas Pandey
Publisher: Nirmalkumar Jain

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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञानप्रदीपिका । बुधजीवौ च नगरे नष्टद्रव्यादि सूचकौ ॥४२॥ भौमे भूमिर्जलं काव्ये शशिनो बुधभागिनः । बुध और बृहस्पति नगर में नष्ट द्रव्य के सूचक होते हैं । इसी तरह मंगल के बलवान होने पर भूमि, शुक्र के बली होने पर जल चंद्रमा और बुध के बलवान होने पर - निष्कुटश्चैव रंधश्च गुरुभास्करयोर्नभः ॥ ४३ ॥ मंदस्य युद्धभूमिश्च बलोत्तरखगे स्थिते ( 2 ) । गृहोद्यान, बृहस्पति से छिद्र, सूर्य से आसमान, शनि के बलवान होने पर युद्ध की भूमि- ये नष्ट द्रव्य के सूचक होते हैं । सूर्यार्कारले भूमौ गुरुशुकवले खगे ॥४४॥ चंद्रसौम्यवले मध्ये कैश्विदेवमुदाहृतम् । । सूर्य, मंगल और शनि के बलवान् होने पर भूमि में गुरु और शुक्र के बली होने पर आकाश में चन्द्रमा और बुध के बली होने पर बीच - ये किन्हीं किन्हीं का मत है निशा दिवससन्ध्याश्च भानुयुग्राशिमादितः ॥ ४५ ॥ | चरराशिवशादेवमिति केचित्प्रचक्षते । कुछ लोग चर, fter or facenta राशियों के बश से रात दिन और सन्ध्या का क्रमशः निर्देश करते हैं । ग्रहेषु बलवान्यस्तु तद्वशाद्दलमोरयेत् ॥४६॥ शर्वर्षं तदर्थं स्याद्भानोर्मासद्वयं विदुः । ग्रहों का बल विचार करते समय जो बलवान हो उसी के अनुसार उसका बल कहना चाहिये । शनि का डेढ़ वर्ष काल हैं, सूर्य का दो मास -- शुक्रस्य पक्षो जीवस्य मासो भौमस्य वासरः || ४७৷৷ इंदोर्मुहूर्तमित्युक्तं ग्रहाणां चलती वदेत् । शुक्र का एक पक्ष, वृहस्पति का एक मास, मंगल का एक दिन चंद्रमा का एक मुहूर्त काल है। प्रश्न विचारते समय ग्रहों का बलाबल विचार कर तदनुसार फल कहना चाहिये । For Private and Personal Use Only

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