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ज्ञानप्रदीपिका ।
किरणों की संख्या ८ हैं । मिथुन ॠष और मकर को ६, सिंह कन्या और मकर की • वृश्चिक की ४ और मीन की किरणसंख्या २७ हैं ।
सप्ताष्टशरवह्नयद्रिरुद्रयुग्धाधिषड्वसु ॥ २६ ॥ सप्तविंशतिसंख्याञ्च मेषादीनां परे विदुः ।
कुछ आचार्य ऐसा भो मानते हैं कि मेषादि राशियों की संख्या क्रमशः, ७ ८५३ ७ ११२४ ४ ६८ और २७ ये हैं ।
कुजेन्दुशनयो ह्रस्वा दीर्घा जीवबुधोरगाः ||३०|| रविशुक्रौ समौ प्रोक्तौ शास्त्र ज्ञानप्रदीपके ।
मंगल चन्द्रमा और शनि ये ह्रस्व, वृहस्पति बुध राहु ये लंबे कदके तथा सूर्य शुक्र ये समान कदके इस ज्ञानप्रदीपक में कहे गये हैं ।
आदित्यशनिसौम्यानां योजनं चाष्टसंख्यया ॥ ३१ ॥ शुक्रस्य षोडशोक्तानि गुरोश्च नवयोजनम् ।
सूर्य, शनि और बुध इनके योजन की संख्या ८ होती है। शुक्र की योजन संख्या १६ और गुरु की नव है ।
भूमिजः षोडशवयाः शुक्रः सप्तवयास्तथा ॥ ३२॥ विंशद्वयाश्चन्द्रसुतः गुरुस्त्रिंशद्वयाः स्मृतः । शशांकः सप्ततिवयाः पञ्चाशद् भास्करस्य वै ॥३३॥ शनैश्वरस्य राहोश्च शतसंख्यं वयो भवेत् ।
मंगल की अवस्था १६ वर्ष की, शुक्र को सात की, बुध की बीस को, गुरु की तीस की, चन्द्रमा की सत्तर की, सूर्य की पवास की, शनि और राहु की अवस्था सौ वर्ष की है।
तितौ शनैश्चरो राहुः मधुरस्तु बृहस्पतिः ||३४|| अम्लं भृगुर्विधुः क्षारं कुजस्य क्रूरजा रसाः । तरः (?) सोमपुत्रस्य भास्करस्य कटुर्भवेत् ||३५||
शनि और राहु तिक्त, वृहस्पति मधुर, शुक्र अम्ल, मंगल खारा, बुध कसैला और रवि कटु ग्रह हैं।
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