________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भानप्रदीपिका।
पापग्रह दशम में हों तो पशु नष्ट नहीं हुआ। यदि यह राशि नरराशि हो तो किसी ने बांध लिया है ऐसा बताना चाहिये।
बहुपादुदये राशौ बहुपान्नष्टमादिशेत् ।
पक्षिराशौ तथा नष्टे एतेषां बंधमादिशेत् ॥३२॥ बहुपात् राशि यदि लग्न हो तो बहुपाद जीव नष्ट हुआ है ऐसा बताना । यदि ये पक्षि राशि में नष्ट हुए हैं तो किसी के बन्धन में पड़ गये हैं ऐसा बताना चाहिये।
कर्कवृश्चिकयोलग्ने नष्टं सद्मनि कीर्तयेत् ।
मृगमीनोदये नष्टं कपोतान्तरयोर्वदेत् ॥३३॥ कर्क और वृश्चिक यदि लग्न हो तो घर में ही नष्ट बस्तु है ऐसा बताना। मकर या मीन होतो कबूतरों के वासस्थल के पास कहीं पड़ा हैं।
कलशो भूमिजे सौम्ये घटे रक्तघटे गुरुः । शुक्रश्च करके भग्नं घटे भास्करनन्दनः ॥३४॥ आरनालघटे भानुश्चन्द्रो लवणभाण्डके ।
नष्टद्रव्याश्रितस्थानं सद्मनीति विनिर्दिशेत् ॥३५।। मंगलकारक होने से घड़े में और बुध का भी बड़े ही में तथा वृहस्पति का लाल घड़े में, शुक्र, होतो टूटे फूटे करक में, शनिश्चर हो तो घड़े में कमलघट में सूर्य का, चन्द्रमा का नमक के घड़े में अपने घर में नष्ट द्रव्य का स्थान निश्चय करना।
पंग्रह संयुते दृष्टे पुरुषस्तस्करो भवेत् ।
स्त्रीराशौ स्त्रीग्रहैष्टे तस्करी च धूर्भवेत् ॥३६॥ लग्न पुराशि का हो, पुरुष ग्रह से युक्त और दृष्ट हो तो चोर पुरुष है। पर, यदि स्त्री राशि लग्न हो और स्त्री ग्रह से युत और दृष्ट हो तो स्त्री चोर है ।
उदयादोजराशिस्थे पंग्रहे पुरुषो भवेत् ।
समराश्युदये चोरी समस्तैः स्त्रीग्रहैर्वधः ।।३६।। लग्न से विषम राशि में यदि पुरुष ग्रह हो तो चोर पुरुष होता है। सम राशि लग्न में हो और उस से समस्थान पर स्त्री ग्रह हो तो स्त्रो चोर होगी।
For Private and Personal Use Only