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ज्ञानप्रदीपिका ।
चतुर्थे तिष्ठति भृगौ रजतं वस्तु पश्यति ॥ ८ ॥ कुजश्चेन्मांसरक्तांश्च सशुकफलमंगनाम् ।
चतुर्थ में शुक्र हो तो चांदी की चीज, मंगल हो तो मांस, रक्त और सफेद फल लिये हुई औरत दिखाई पड़ती है ।
मृगं शनिश्चेत् सौम्यश्चेत् शिलां स्वप्ने तु पश्यति ॥६॥ आदित्यश्चेन्मृतान् पुंसः पतनं शुष्कशालिनाम् । चंद्रश्चेत् वदनं शीतं राहुमध्यविषं भवेत् ॥१०॥
शनि चतुर्थ में हो तो मृग, बुध हो तो शिला, सूर्य हो तो मरे हुए मनुष्यों को अथवा सूखे धान्यों को, चन्द्रमा हो तो शीतवदन और राहु हो तो मध्य विष का दर्शन स्वप्न में अत्र किंचित् विशेषोऽस्ति छत्रारूढोदयेषु च । छत्रस्थितश्चेत् सौम्यश्चेत् सौधसौम्यामरान् वदेत् ॥ ११ ॥
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इस प्रश्नाध्याय में लग्न राशियों के पक्ष विशेष यह है कि शुभग्रह कभी छत्रारूढ हो तो ... सुन्दर गृह अथवा देवतादिक का दर्शन होता है।
चतुर्थभवनात् स्वप्नं ब्रूयात् ग्रहनिरीक्षकः । तत्रानुक्त' यदखिलं ब्रूयात् पूर्वोक्तवस्तुना ॥ १२ ॥
Tags भवन से ग्रहों को स्वप्न फल कहना चाहिये। जो कुछ न भी कहा गया है उसे भी पूर्व कथित वस्तु पर से समझ लेना चाहिये ।
इति स्वप्नकाण्डः
अथोभयर्क्षे पथिको दुर्निमित्तानि पश्यति । स्थिरोदये निमित्तानां निरोधेन न गच्छति ॥ १॥ चरोदये निमित्तानां समायातीति ईरयेत् ।
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