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( १० )
यस्य मीनसमा रेखा दृश्यते करसंतले धर्मवान् भोगवाँश्च व बहुपुत्रश्च जायते ॥ २५ ॥
जिसके हाथ में मछली की रेखा हो वह धर्मनिष्ठ, भोगवान् और अनेक पुत्रों वाला
होता है।
तुला यस्य तु दीर्घा च करमध्ये च दृश्यते ।
वाणिज्यं सिध्यते तस्य पुरुषस्य न संशयः ॥ १६ ॥
जिसके हाथ में लंबी तराजू के आकार की रेखा हो वह पुरुष निश्चय ही उत्तम व्यापारी
होता है ।
अंकुशो वाऽथ चक्र' वा पद्मवज्रौ तथैव च ।
तिष्ठन्ति हि करे यस्य स नरः पृथिवीपतिः ॥ २७ ॥
जिसके हाथ में अंकुश, चक्र, कमल अथवा वज्र का चिह्न हो वह मनुष्य पृथ्वी का मालिक (राजा) होता है 1
शक्तितोमरबाणञ्च यस्य करतले भवेत् ।
विज्ञेयो विग्रहे शूरः शस्त्रविद्येव भिद्यते ॥ २८ ॥
शक्ति, तोमर, बाण के चिह्नों से अंकित हाथ वाला पुरुष युद्ध में शूर होता है, वह शस्त्र विद्या को भेदने वाला होता है ।
रथो वा यदि वा छत्र करमध्ये तु दृश्यते ।
राज्यं च जायते तस्य बलवान् विजयी भवेत् ॥ २६ ॥
जिसके हाथ में रथ, छत्र का चिह्न हो वह बलवान् और राज्य का जीतने वाला होता है । वृक्षो वा यदि वा शक्तिः करमध्ये तु दृश्यते ।
अमात्यः स तु विज्ञेयो राजश्रेष्ठी च जायते ॥ ३० ॥
जिसके हाथ में वृक्ष या शक्ति का चिह्न हो वह मंत्री और राजा का सेठ होता है । ध्वजं वा ह्यथवा शंखं यस्य हस्ते प्रजायते ।
तस्य लक्ष्मीः समायाति सामुद्रस्य वचो यथा ॥ ३१ ॥ जिसके हाथ में ध्वज यो शंख का चिह्न हो उसके पास, सामुद्रशास्त्र के कथनानुसार . मी जाती है।
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