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शानप्रदीपिका। यदि चतुर्थ से लेकर नवम पर्यन्त ६ राशियों में शुभ ग्रह हों तो स्थायी की जय होती है, बुद्धिमान् ग्रहों के वश से फल कहें।
ग्रहोदये विशेषोऽस्ति शन्यकांगारका यदि ॥१४॥
आगतस्य जयं ब्रूयात् स्थायिनो भंगमादिशेत् । विशेषता यह है कि प्रश्न लग्न में शनि सूर्य या मंगल हों तो यायो को जय भोर स्थायी की हार होगी।
बुधशुक्रोदये संधिः जयः स्थायी (2) गुरूदये ॥१५॥ पंचाष्टलाभारिष्वेषु तृतीयेऽर्किः स्थितो यदि।।
आगतः स्त्रीधनादोनि हृत्वा वस्तूनि गच्छति ॥१६॥ उसो प्रश्न लग्न में यदि बुध और शुक्र हों तो सन्धि हो जाती है पर गुरु हो तो स्थायी की विजय होती है। ५, ८, ११, ६ इनमें या तृतीय में यदि शनि हो तो आगत राजा श्री धन आदि ले कर चला जायगा।
द्वितीये दशमे सौरिः यदि सेनासमागमः ।
यदि शुक्रः स्थितः षष्ठे योग्यसंधिर्भविष्यति ॥१७॥ यदि २, या १० में शनि हो तो सेना आयेगी पर यदि षष्ठ में शुक्र हो तो सन्धि हो जायगी।
चतुर्थे पंचमे शुक्रो यदि तिष्ठति तत्क्षणात् ।
स्त्रीधनादीनि वस्तूनि यायी हृत्वा प्रयास्यति ॥१८॥ यदि ४ या ५ वें स्थान में शुक हो तो शीघ्र ही यायी ( चढ़ाई करने वाला,) स्त्री धन आदि को हरण करके चला जायगा।
सप्तमे शुक्रसंयुक्त स्थायी भवति दुर्लभः । नवाष्टसप्तसहजान्वितान्यत्र कुजो यदि ॥१६॥
स्थायी विजयमाप्नोति परसेनासमागमे। सप्तम में यदि शुक्र हो तो स्थायी मुश्किल ले बनता है। यदि ६, ८, ७, ३इन से अन्यत्र मंगल हो तो शत्रु की सेना का आक्रमण होने पर स्थायी की विजय होगी।
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