Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका. अ १ स. २४ महावीर समवसरणम् एकाभिमु वान् निर्गच्छतः पश्यति, दृष्ट्वा 'कंचुइपुरिसं' कञ्चकिपुरुष अन्तःपुरमाहरिकं शब्दयति, शब्दयित्वा एवमवादीत्-कि खलु भो देवानु. प्रिय ! अद्य राजगृहे नगरे 'इंद महेइ वा' इन्द्रमहः इन्द्रोत्सवः 'इ' इत्यलंकारार्थः वा शब्दः समुच्चयार्थकः, 'खंदमहे इवा' स्कन्दमहः स्कन्दा-शिवपुत्रः कार्तिकेयः इ शब्दो वा शब्दश्च पूर्ववद् व्याख्येयः। एवं-'रुद्दसिव वेसमणनागनक्खभूयतलायरुक्खचेइयपचय उज्जाणगिरि जत्ताइवा' रुद्रः-एकादशमु रुद्रेषु कश्चिद् रुद्रविशेषः, शिवा-प्रसिद्धः, वैश्रमणः यक्षराजः-कुबेरः नागःभवनपतिविशेषः, यक्षभूतोव्यन्तरविशेषौ, नदी प्रसिद्धा, तडागः जलाशयः कुमारने उस समय राजमार्ग की ओर देखा। (तएणं से मेहेकुमारे ते बहने उग्गे जाव एगदिसि एगाभिमुहे निगच्छमाणे पासइ) तो उसे ज्ञान हुवा कि ये सब उग्र आदि के वंश के मनुष्य आज जो एक ही दिशा की तरफ एक लक्ष्य बांधकर जो जा रहे हैं सो क्या कारण है ? इस प्रकार विचार कर आते ही उसने उसी समय (कंचुइपुरि से सहावेड) कंचुकी को बुलवाया-और (सहोवित्ता) बुलाकर (एवं वयासी) उससे ऐसा कहा-(कि गं भी दवाणुप्पिया अन्जरायगिहे नयरे इंदमहेइवा खंदमहेइ वा एवंरुदसिववेसमणनागजक्खभूय नइतलाय सक्खवेईय पन्वय उजाण गिरिजत्ताइत्ता ) भो देवानुपिय ? क्या आज राजगृह नगर मे इन्द्र महोत्सव है अथवा कार्तिकेय का कोई उत्सव है, अथवा ११ रुद्रोमे से किप्ती ऐक रुद्रका उत्सव है अथवा शिव का उत्सव है ? या यक्ष राजका उत्सव है ? या किसी भवन पति देव विशेष का उत्सव है ? या कि किसी यक्ष, का या भूत का उत्सत्र डतो. ते समय मेघमारे २०१४ मा त• नेयु (तएणं से मेहे कुमारे ते वहवे उग्गे जाव एगदिसि एगाभिमुहे निगच्छमाणे पासइ) मा ५ वगेरे વંશના બધા માણસે એક લક્ષ્ય રાખીને એક જ તરફ જઈ રહ્યા છે તેનું શું કારણ छ ? २LA विया२ थतi तेरे तरत (कंचुइपुरिसे सावेइ) युधीन मालाव्या भने (सद्दावित्ता) गोदावीन एवं वयासी किंणं भो देवाणुप्पिया? अन्ज रायगिहे नयरे इंदमहेइबा खंदहेहइवा एवं मद्दसिववेसमणनाग जक्ख भूयनइतलायरुक्खचेइयपचय उजाणगिरिजत्ताइवा) હે દેવાનુપ્રિય શું આજે રાજગૃહનગરમાં ઈન્દ્ર મહોત્સવ છે, અથવા કાર્તિકેયને કેઈ ઉત્સવ છે અથવા અગિયાર રૂદ્રમાંથી કેઈ એક રૂદ્રને ઉત્સવ છે, અથવા યક્ષરાજને (કુબેર) ઉત્સવ છે, અથવા કેઈ ભવનપતિ દેવ વિશેષ ઉત્સવ છે. અથવા
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