Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 692
________________ ६७४ हाताधर्मकथाजसने भागे मालकाकक्षकः आसीत्, वर्णकः वर्णन: मालुकाकक्षकस्य वर्णनमत्रैव द्वितीयाध्ययनेऽभिहितम्. । 'तत्थ णं तत्र खलु एका वनमयूरी द्व-द्विसंख्यके 'पुढे पुष्टे-वर्द्धिते 'परियागए' पर्यायागते-पर्यायेण प्रमूतिकालक्रमेण आगते प्रसूतिकालमाप्ने इत्यर्थः, परियागए-इत्यत्र यकारलोषः प्राकृमत्त्वात् 'पिटुंडी पंडुरे' पिष्टोण्डी पाण्डुरे तत्र-पिट्ठ' पिष्टस्य-ताण्डुलचूर्णस्य 'उडी' पिण्डो तद्वन् पाण्डुरे धवले ये ते तथा 'निवणे' निव्रणे-क्षतरहिते 'निरुपहते-उपद्रव -रहिने 'भिन्नमुटिप्पमागे' भिन्नमुष्टिरमाणे ता 'भिन्न भिन्ना मध्यरिक्ता यो मुष्टिः मा प्रमाणं ययोस्ते तथा 'मऊरो अंडए' मयूराण्ड के मयूरो त्पाद के अडे 'पसुबई' प्रमूते-जनयति, प्रम्य-जनयित्वा 'सएण, पक्ख वाएण' स्वकेन पक्षपातेन अण्डोपरि स्वकीयपक्षाच्छादनेन 'सारक्खमाणी' उत्तर दिशामें एक ओर मालुक कच्छनाम का वन था। इस मालुका कच्छ का वर्णन इसी शास्त्र के द्वितीय अध्ययनमे किया जा चुका है। (तत्थ णं गा वणमऊरो दो पुढे मऊगे अंडए पसबइ परियागए ) उस कक्षामें एक वन मयूरो ने दो पुष्ट मगर उत्पादक अंड उत्पन्न किये। ये दोनों अंडे उसने भिन्न भिन्न समयमे अर्थात् एक पहिले और एक इसरा उसके उसी समय बादमे प्रसुन किये थे। (पिडो पडुरे) ये दोनों ही तंदुल चूर्ण को पिठी-पिण्डो-के समान धवल थे। (निधणे निरुहये भिन्न मुटुपमाणे) विना किमी क्षत के थे। उपद्रव रहित थे। और मध्यरिक्त पोठो मुष्टि के बराबर थे । (पस वित्ता सएणं पक वचाएण मारावमाणी संगोवमाणी सबइमाणी विहरइ ) प्रसव करके उसने उन दोनों मयू रोत्पादक अंडो की अपने पंखो के द्वारा आच्छादन करके अर्थात उन दोनों अंडो को अपने पखों के नीचे रख और उन पर पंखो को पसार ज्ञाता सूत्रना मान्न मध्ययनमा ४२वामा माव्यु छ. (नत्थाएगा वणमऊरी दोपुढे मऊरीअडए पसवइ परियागप) ते भारी क्षमा वननीये मे सुराण મેરને ઉત્પન્ન કરનારા એવા બે ઈંડા મૂક્યાં. આ ઈડા તેણે એક પછી અને એટલે કે से पडसा म नुहा नुहा मते भूश्या तi. (विडी पडरे) मने ४ या व्योमाना खोटा पीउनी भ घोणा ता (निकषणे निरुवहये भिन्नमुट्टिप्पमाणे) ते पने ઈંડાઓ ક્ષત વગરના, ઉપદ્રવ રહિત અને વચ્ચે પિલી મૂઠીની બરાબર હતા. (पसवित्ता सएण पक्खएण सारकग्वमाणी संगोवमागी सदडेमाणी विरह) ઇડ મર્યા બાદ બંને મયૂરોત્પાદક તેલે પાખે પ્રસારીને બંને ઈડાને પાપોથી

Loading...

Page Navigation
1 ... 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770