Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ज्ञाताधर्मकथाइमो मत्येपातालभूतीना त्रिकं, कुत्रिक "तात्स्थ्यात् तद्वथपदेशः" इात कृत्वा तत्र स्थितं वस्त्वपि-कुत्रिकमुच्यते । कुत्रिकस्य आपणः कुत्रिकापणः । देवाधिष्ठितत्वेन स्वर्गमयंपाताललोकत्रय संमविवस्तुसंपादकट इत्यर्थः 'कुतियावण' इति भाषाया, तम्मान 'स्यहरणं रजोहरणं-द्रव्यमान रजोहरतीति रजौहरणं, तत्र द्रव्यतो धृलिप्रभृति, भावतः कर्मरजः इत्यर्थः 'पडिग्गरं च' प्रतिग्रहं चप्रतिगृह्णाति अगनादिकमस्मिन्निति प्रतिग्रह-पात्रं पात्रत्रयं, चतुर्थ-मुन्दकं चेत्यर्थः। अत्र ‘रयहरणं पडिग्गहं च' इत्युपलक्षणम्-अन्येषामपि साधूपकरणानां तथा हिव उवणे कासवयंच सहावेह ) हे माता पिता! मै कुत्रिकापण से रजीहरण और पात्र चाहता हूँ आप लोकर दीजिये" कुत्रिकापण को भाषा में “कुनियापण" कहते हैं। कुत्रिकापण का च्युत्पत्तिलभ्य अर्थ इस प्रकार है--कूनां-त्रिकंकुत्रिकं -देवलोक मर्त्यलोक एवं पाताललोक ये तीन कुत्रिक कहलाते हैं " तात्स्थ्यात् तद्व्यपदेशः" इस नियम के अनुसार इन तीनों लोकों में रही हुइ जो वस्तुएँ हैं वे भी कुत्रिक शब्द क वाच्यार्थ हो जाती है। इस कुत्रिक की जा दुकान होती है वह कुत्रिकपण है। तात्पर्य इसका यह है कि जिस दुकान में त्रिलोक सम्बन्धी ममम्न वस्तु ग्राहकजनों को मिला करती है वह कुत्रिकापण जो धूली वगैरह द्रव्यरज और कर्म रूप भाव रज को दूर करता है वह रजाहरण का वाच्यार्थ है। जिस में अठानादिक वस्तुएँ रखी जाती हैं वे प्रति ग्रह है। प्रतिग्रह गन्द का इस प्रकार अर्थ पात्र होता है। सूत्र में " स्यहरण और पडिग्गह" ये दो पद अन्य साधुओं के उपकरणों के ग्यहरणं पडिग्गहं च उवणेह कासवयं च मनावेह) भातापित ! त्रिપણથી રજોહરણ અને પાત્ર ચાહું છું. તમે મંગાવી આપે. કુત્રિકાપણને ભાષામાં કુત્તિયાપણુ” કહે છે. કુત્રિકાપણને વ્યુત્પત્તિ લભ્ય અર્થ આ પ્રમાણે છે કે· कमा त्रिकं कुश्कि' हेक्यो मृत्युदोर भने पाता मात्र पुत्रिय
वाय " नाम्च्यात नद उपपदेशः" -१ नियम भुन जाणे बानी બધી વસ્તુઓ પણ કુત્રિ શબ્દના અર્થમાં સમાવિષ્ટ થઈ જાય છે. આ કૃત્રિકની જે દુકાન હોય છે તે “કુત્રિકા પણ કહેવાય છે. મતલબ એ છે કે જે દુકાનમાં ત્રણ લોકની બધી વસ્તુઓ ગ્રાહંકાને મળે છે તે કુત્રિકા પણ છે જે માટી વગેરે દ્રવ્ય જ અને કર્મરૂપી ભાવ રજન દર કરે છે તે રહણ છે જેમાં આહાર વગેરેની વસ્તુઓ મૂકવામાં આવે છે, તે પ્રતિગૃહ છે આ રીતે પ્રતિગ્રહ શબ્દના अर्थ र यो सत्रमा "ग्यहरण अने पडिगगह " या शहे। माधु ના બળ ઉપકાને બતાવનાર છે. આધુઓના આ બીજ ઉપકરશે આ 4માણે