Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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साताधर्मकथा ताननः कुण्डलपरिघारणेन प्रकाशितमुख, मउडदित्तसिरए' मुकुटदीप्तशिरस्का मुकुटशोभितमस्तकः, 'अहियरायतेयलच्छीए' अभ्यधिकराजतजो लक्ष्म्या-अभ्यधिकं सातिशयं राज तेजः पूर्गेगर्जित प्राप्ताधिकारस्य तेजःप्रभावः तस्य लक्ष्मोः शोभा तया 'दिप्पमाणे' दीप्यमानःशोभमानःसकोरंटमाल्यदाम्ना, कोरण्टपुष्पमालायुक्तेन 'धरिजमाणेणं' ध्रियमाणेन भृत्येनेति भावः। 'छत्तेण' छत्रण युक्तः 'सेयवरचामरेहि' श्वेतवरचामराभ्यां 'उद्धव्यमाणेटिं' उद्धयमानाभ्यां-बोज्यमानाभ्यां युक्तः 'हयगयपवरजोहकलियाए' हयगजपवरयोधकलितया, चतुर्राङ्गण्या सेनया 'समणुगम्ममाणमग्गे' समनुगम्यमानमार्गःसम् सम्यक्प्रकारेण अनु पश्चात् गम्यमानो मार्गों यस्य स मेघकुमारः यत्रै वगुणशिलकं चैत्यम्=सुद्यते। उद्यान तत्रैव पहारेत्थ गमणाए' गमनाय प्रधाहारोत्य य मुकयरइयवच्छे कुंडलोज्जोइयाणणे, मउडदित्तसिरए, अग्यि रायतेयलच्छीए दिप्पमाणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं से यवरचामराहि उधुवमाणीहिं हयगयपवरजोहकलियाएहि चाउरंगिणीए सणाए समणुगम्ममाणमग्गे) इसके बाद वह मेघकुमार कि. जिसका वक्षस्थल धारण किये गये हार से आनन्द प्रद हो रहा है मुख पहिरे हुए कुण्डल से प्रकाशित हो रहा है, मस्तक धारण किये हुए मुकुट से देदीग्यमान हो रहा है, और जो स्वयं अभयादिक राजतेज की शोभा से विशेष प्रभावशाली बना हुआ है-तथा जिसके ऊपर कोरेंट पुष्प की माला से युक्त छत्र नौकर के द्वारा धारण किया गया है, और जिस पर श्वेत उत्तम दो चामर ढोरे जा रहें हैं तथा जो ह्य-गज एवं बहुत अधिक बलिप्ठ योद्धाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना से अनुगम्यमान मार्ग वाला है (जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव पहारेत्थगमणाए)जहा गुणशिलक उद्यान था उस और मउडदित्तमिरए अमहियरायतेयलच्छीए -दिपमाणे सकारटमल्लदामेणं छतेणं धरिज्जमाणेण सेयवरचामराहिं उद्धचमाणीहिं हयगयपवरजोहकालियाए चाउरंगिणिए सेनाए समणुगम्ममाणमम्गे) ત્યાર બાદ ધારણ કરેલા હારથી ભિત વક્ષ સ્થલ વાળો, પહેરેલા કુંડળોથી સુશોભિત મે વાળે ધારણ કરેલા મુકુટથી પ્રદીપ્ત મસ્તકવાળાઅભયાદિક રાજ તેજ ની શોભાથી સ્વય સવિશેષ પ્રભાવશીલ, કરે તાણેલા કેરંટ પુષ્પનીમાળા. યુકત છત્રવાળે, ઉત્તમ સફેદ બે ચમરોથી વીજિત થતો અને ઘોડા હાથી, રથ વગેરેની બલવાન દ્ધાઓવાળી यतुनिए सेनानी पायाही ही छ मेवो भेधभार (जेणेव गुणसिलए चेहए तेणेव पहारेत्थ गमणाए ) गुणशी उद्यान २५ ४१तैयार थयो.